अब आया अरुण बिसेन का नंबर , नान घोटाले में होगी पूछताछ , गिरफ्तारी भी संभव ?

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छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित नान घोटाले में अरुण बिसेन का नाम सामने आया है | नान डायरी के अलावा कुछ और दस्तावेजों में आधा दर्जन से ज्यादा स्थानों पर अरुण बिसेन का नाम दर्ज है | सूत्रों के मुताबिक उनके नाम के स्थान पर रकम भी दर्ज की गई है | ACB और EOW की टीम इस पड़ताल में जुटी है कि अरुण बिसेन इस घोटाले में कहाँ तक सहभागी थे | गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के OSD रहे अरुण बिसेन उस समय सुर्ख़ियों में आए थे जब एक स्टिंग ऑपरेशन में वो कांग्रेसी नेताओ की सी.डी. बनाए जाने और रकम के लेनदेन  को लेकर चर्चा कर रहे थे | अब उनका नाम नान घोटाले में भी जुड़ गया है |  

  हाल ही में ACB और EOW की संयुक्त टीम ने नान घोटाले की जाँच तेज कर दी है | इस घोटाले के संबंधित तमाम दसतावेजो की बारिकी  से पड़ताल चल रही है | यही नहीं कुछ हार्डडिस्क और पेन ड्राइव की लैब जांच में कई नए तथ्य सामने आए है | बताया जाता है कि पूर्वबर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में ACB और EOW ने जाँच के दौरान कई महत्वपूर्ण तथ्यों और सबूतों  को जानबूझकर या तो नष्ट कर दिया था या फिर उसे जाँच के दायरे से बाहर रखा था | इसके चलते कई आरोपी  राहत की सांस  ले रहे थे | लेकिन अब उनके अरमानो पर पानी फिर गया है | हैदराबाद में हुई फॉरेंसिक और लैब  जाँच के बाद नान घोटाले के कई महत्वपूर्ण सबूत जाँच अधिकारीयों के हाथ लगे है | इसमें नया नाम अरुण बिसेन का सामने आया है | बताया जाता है कि अरुण बिसेन के नाम  के साथ रकम की  एंट्री भी दर्ज की गई है | यह रकम उन्हें हर माह मिला करती थी | जाँच अधिकारी अब उस शख्स से पूछताछ करने में जुटे है जो अरुण बिसेन को घोटाले की रकम सौपा करता था |    


नान डायरी ने उस समय छत्तीसगढ़ में सियासी भूचाल ला दिया था ,  जब डायरी के कुछ पेज लीक  हुए थे  | इन पन्नो पर तत्कालीन  मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेहद करीबियों के नाम कोडवर्ड में लिखे हुए थे | ये दस्तावेज भले ही सुनियोजित रूप से लीक  कर मीडिया कर्मियों तक पहुंचाए गए थे | लेकिन अब ये तत्कालीन  जाँच अधिकारियों के अलावा  बीजेपी के नेताओ और दागी अधिकारियो  की गले की फ़ांस बन गए है | नए तथ्यों और सबूतों से नान घोटाले के असली गुनाहगार सामने आने लगे है | EOW और ACB की टीम जल्द ही नए तथ्यों से हाईकोर्ट को अवगत कराएगी | ये तथ्य  इतने पुष्ट है कि जो स्वयं साबित कर रहे है कि राज्य में नान घोटाले के जरिए हर माह करोड़ो का वारा -न्यारा होता था | नान घोटाले की SIT जाँच को  चुनौती देने के लिए बीजेपी के कुछ नेता और दागी अफसर इन दिनों बिलासपुर हाईकोर्ट की दौड़ लगा रहे है | उनका मकसद  नान डायरी और उसके  घोटाले पर पर्दा डालना है, ना कि राज्य की जनता की
गाढ़ी  कमाई को लूटने वालो का पर्दाफाश करना | यह  सोचनीय है कि किसी घोटाले की जाँच अंजाम तक पहुँच पाए इसमें राजनेताओ को सहयोग करना चाहिए या फिर जाँच में रोड़ा अटकना चाहिए | बहरहाल नान घोटाले के नए तथ्य और सबूत जल्द ही उच्च न्यायलय  के सुपुर्द किए जाने वाले है | इस दौरान क़ानूनी प्रक्रिया पूरी करने के लिए अरुण बिसेन को तलब किया जा सकता है |    नई सरकार से लोगो को उम्मीद जगी है कि वो नान घोटाले के असली गुनाहगारो को जनता की अदालत में लाएंगे और उन्हें कानून सजा देगा |