समाजसेवा की अनोखी मिशाल, 11 दिव्यांग को मिली जीवन संगिनी |

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उपेंद्र डनसेना रायगढ़. \    
शारीरिक रूप से अक्षम और नेत्रहीन युवकों को आज पूरे धूमधाम के साथ विवाह बंधन में बांधा गया। यह पहला अवसर था जब एक साथ 11 जोड़ो की शादी एक ही मंडप के नीचे सामाजिक संगठनों की देखरेख में की गई और पूरे रीति रिवाज के साथ दुल्हा दुल्हन को वो माहौल दिया गया जो उन्होंने कभी सोचा नही था। अक्सर ऐसा होता है जब शारीरिक रूप से अक्षम तथा नेत्रहीन लोगों के लिए सरकार की तरफ से पहल न के बरोबर होती है पर छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में समाज सेवा का नया रूप देखने को मिला। पहले परिचय सम्मेलन आयोजित किया गया था और परिचय सम्मेलन के बाद करीब 12 जोडो ने अपना पंजीयन कराया था और रायगढ़ के समाजसेवी संगठनों ने मिलकर इन सभी जोड़ो को एक सूत्र में बांधने के लिए सर्व सम्मति से निर्णय लिया लेकिन एक जोडा किसी कारणवश नही पहुंचा। पर 11 जोड़ो की बारात रायगढ़ के स्टेशन चौक स्थित धर्मशाला से निकली और गाजे-बाजे के साथ निकली यह बारात गांधी गंज परिसर पहुंची और वहां उनका स्वागत किया गया। आधा दर्जन से भी अधिक समाजसेवी संगठनों ने इन जोड़ो के लिए अलग-अलग सामान दान में दिए और दुल्हा, दुल्हन की हर जरूरत के अनुसार उनकी मदद भी की। समाज एवं कल्याण विभाग के बिना मदद के हुए इस विवाह समारोह में जिले के कलेक्टर यशवंत कुमार ने भी पहुंचकर वर वधु को आशीर्वाद दिया और प्रमाण पत्र भी वितरत किए। आयोजन समिति के प्रमुख गोपाल अग्रवाल ने बताया कि प्रारंभिक परिचय सम्मेलन के बाद शादी समारोह करने का निर्णय लिया गया और इसमें हर वर्ग के जोड़ो को शामिल किया गया है और देश के अलग-अलग हिस्सा से आए वर वधु आपसी रजामंदी के बाद विवाह सूत्र में बंध रहे हैं। उन्होंने बताया कि समाज कल्याण विभाग ऐसे समारोह में कोई मदद नही कर रहा है। वहीं समाजसेवा से जुडी महिलाओं ने भी इस विवाह समारोह की प्रशंसा करते हुए कहा कि सब ने मिलकर अलग-अलग तरीके से दुल्हा, दुल्हन की मदद कर रहे हैं और ऐसे आयोजन होते रहने चाहिए। इस समारोह में भाग लेने आए जिला कलेक्टर ने भी आयोजन समिति के द्वारा विकलांग जोडो की शादी कराने की तारीफ करते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से पूरे समाज में संदेश जाता है, उन्होंने बातचीत के दौरान समाज एवं कल्याण विभाग भी इसमें मदद कर रहा है कहकर चौका दिया।