ऋतुराज /
आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता के कारनामों की जांच के निर्देश से आम नागरिक , पुलिस- प्रशासनिक अधिकारी और कर्मी सरकार से खुश |
लोगों को उम्मीद बंधी , अब छत्तीसगढ़ में होगा कानून का राज स्थापित |
छत्तीसगढ़ कैडर के चर्चित आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता के काले कारनामों की जांच के आदेश की व्यापक प्रतिक्रिया हुई है | पुलिस और प्रशासनिक महकमे के अलावा आम नागरिकों और पीड़ितों को उम्मीद जगी है कि छत्तीसगढ़ में कानून का राज स्थापित करने में कांग्रेस सरकार कारगर साबित होगी | लोगों का मानना है कि पिछले 15 सालों में इस अफसर ने अपने प्रभाव का बेजा इस्तेमाल करते हुए अरबों रूपये कमाए | ब्लैक मनी को वाइट मनी में तब्दील करने के लिए छत्तीसगढ़ में एक बड़ा मनी लांन्ड्रिंग सेंटर खोला गया | मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से उन लोगों की आशाएं बंधी है जो , लंबे अरसे से इस प्रदेश में कानून का राज स्थापित होने का सपना देख रहे थे | राज्य के आधा दर्जन आरटीआई कार्यकर्ताओं ने प्रधानंमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पत्र भेजकर ऐसे आईपीएस अधिकारीयों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है जो पुलिस की वर्दी पहनकर कायदे कानूनों का मखौल उड़ा रहे है | उन्होंने इस पत्र में हवाला दिया है कि किस तरह से आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता ने अपने पद और प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए मिकि मेमोरियल ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन नंबर 3-बी/113/1/ 2000-2001 322 वल्लभ नगर रायपुर में अरबों रूपये डोनेट करवाए | आरटीआई कार्यकर्ताओं के मुताबिक अपने पिता जे.डी. गुप्ता निवासी प्रधान डाकघर राजेंद्र नगर बिलासपुर को इस ट्रस्ट में शामिल कर मुकेश गुप्ता ने खुद अप्रत्यक्ष रूप से इस ट्रस्ट की कमान संभाल ली थी |
छत्तीसगढ़ कैडर के विवादित आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता की कार्यप्रणाली को लेकर ना केवल पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार कटघरे में है , बल्कि भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय पर भी सवालियां निशान लग रहे है | इस अफसर के खिलाफ कई महत्वपूर्ण और गंभीर शिकायतों की जांच को फाइलों में कैद कर दिया गया | जबकि कई दूसरे अफसरों के खिलाफ सामान्य शिकायतों की रिपोर्ट मिलने के बाद कार्मिक मंत्रालय ने उन्हें या तो कम्पल्सरी रिटायरमेंट दे दिया , या फिर समय पूर्व नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया | भारतीय पुलिस सेवा जैसे महत्वपूर्ण सेवाओं से जुड़े इस अफसर ने रायपुर और बिलासपुर में MGM नामक संस्था का गठन सिर्फ अन्य स्रोतों से मिली ब्लैकमनी को ठिकाने लगाने के लिए किया बल्कि इस संस्था के जरिये अरबों रूपये का वारा न्यारा किया | दिलचस्प बात यह है कि MGM ट्रस्ट के वैधानिक दस्तावेज ना तो जिला प्रशासन के पास है , और ना ही उन विभागों के पास जहां से ट्रस्ट का संचालन नियंत्रित होता है | बताया जाता है कि इस ट्रस्ट के ज्यादातर दानदाता ऐसे उद्योगपति और व्यापारी है , जिनका प्रतक्ष्य या अप्रत्यक्ष रूप से पुलिस महकमे से पाला पड़ा है | उन मामलों के निपटारे के बाद बतौर रिश्वत नंबर एक में चेक के जरिये ट्रस्ट में दान दिया गया | इस उद्योगपति ने तो इस अवैध उगाही की शिकायत पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह से भी की थी | लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री ने इस अफसर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की | बताया तो यह भी जा रहा है कि पुलिस महकमे के कई छोटे अफसर सरकारी कार्य छोड़ MGM ट्रस्ट के संचालन और अस्पताल के नव निर्माण की बागडोर संभाले हुए थे | ऐसे अफसरों ने कांग्रेस सरकार के गठन के बाद से MGM अस्पताल और उसकी गतिविधियों से किनारा कर लिया है | एक जानकारी के मुताबिक MGM ट्रस्ट में आयकर की धारा 80 का बड़े पैमाने पर दुरूपयोग किया गया है | भूपेश बघेल के सत्ता संभालने और नयी सरकार के गठन के बाद MGM ट्रस्ट के अवैधानिक कृत्यों को वैधानिक बनाने के लिए आयकर सलाहकारों और चाटर्ड एकाउंटेंट की एक टीम दिन रात एक किये हुए है | राज्य के कई आरटीआई कार्यकर्ता मांग कर रहे है कि भारत सरकार को इस मामले में तत्काल कार्रवाई कर इस तरह के ट्रस्ट के संचालन पर रोक लगाई जानी चाहिए | दरअसल भारतीय प्रशासनिक सेवा में बने रहते इस तरह के ट्रस्ट के संचालन की अनुमति ना तो भारत सरकार द्वारा दी जाती है , और ना ही कार्मिक मंत्रालय द्वारा | ऐसे में सिर्फ रायपुर ही नहीं बल्कि बिलासपुर में भी MGM ट्रस्ट की समस्त गतिविधियां संदेह के दायरे में है | आरटीआई कार्यकर्ताओं के मुताबिक इस ट्रस्ट ने सेवा कार्य के बजाए सेंट्रल इंडिया में ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ के एक बड़े ठिकाने के रूप में कुख्याति अर्जित की है | यह भी बताया जा रहा है कि इस ट्रस्ट ने अपने अस्पताल निर्माण और दूसरे ठिकानों के विस्तार के लिए जोर जबरदस्ती और पुलिसिया रौब का इस्तेमाल कर भू मालिकों से जमीने अपने कब्जे में की है | पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के संरक्षण में इस ट्रस्ट की संपत्ति में जबरदस्त इजाफा हुआ | यहां तक की तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने MGM ट्रस्ट को करोड़ों की आर्थिक सरकारी सहायता दी थी |
आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता की चल और अचल संपत्ति की जांच किया जाना बेहद जरूरी है | मध्यप्रदेश सरकार के गृह मंत्रालय ने 09/07/1999 को DO लेटर जारी कर मुकेश गुप्ता की दुर्ग में भू-खंड क्रय करने के संबंध में जांच शुरू की थी | इसमें साडा भिलाई-दुर्ग नेहरू नगर में भू-खंड खरीदने और दिल्ली में प्लॉट क्रय किये जाने को लेकर ब्यौरा मांगा गया था | नगर सेना तथा नागरिक सुरक्षा मुख्यालय छत्तीसगढ़ में इस मामले की फाइल लंबे अरसे तक धूल खाते रही | छत्तीसगढ़ / 1373/गृह 2 दिसंबर 2006 के परिपत्र में जमीन की संदेहस्पद खरीदी-बिक्री का पूरा ब्यौरा भी दर्ज है | बताया जाता है कि अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए मुकेश गुप्ता ने इस मामले की जांच को आज तक लंबित रखा है | यह भी बताया जा रहा है कि इस जांच को रफा-दफा करने में मुख्यमंत्री सचिवालय में पूर्व पदस्थ विशेष सचिव अमन कुमार सिंह की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही | सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि , उत्तरप्रदेश के बरतल , शमशाबाद पश्चिम , तहसील कायमगंज , जनपद फर्रुखाबाद (उत्तरप्रदेश) की कृषि भूमि विक्रय की जांच भी छत्तीसगढ़ गृह मंत्रालय ने शुरू की थी | लेकिन इसे भी रफा-दफा कर दिया गया | आरटीआई कार्यकर्ताओं ने छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में इस अधिकारी की बेनामी संपत्ति की जांच की मांग की है |
फ़िलहाल आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता के खिलाफ पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर की शिकायतों की जांच डीजीपी गिरधारी नायक के हवाले है | उम्मीद की जा रही है कि वर्षों से लंबित तमाम शिकायतों की क़ानून के दायरे में ना केवल जांच होगी बल्कि , पीड़ितों को न्याय भी मिलेगा |
* लोगों को उम्मीद बंधी , अब छत्तीसगढ़ में होगा कानून का राज स्थापित |
छत्तीसगढ़ कैडर के चर्चित आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता के काले कारनामों की जांच के आदेश की व्यापक प्रतिक्रिया हुई है | पुलिस और प्रशासनिक महकमे के अलावा आम नागरिकों और पीड़ितों को उम्मीद जगी है कि छत्तीसगढ़ में कानून का राज स्थापित करने में कांग्रेस सरकार कारगर साबित होगी | लोगों का मानना है कि पिछले 15 सालों में इस अफसर ने अपने प्रभाव का बेजा इस्तेमाल करते हुए अरबों रूपये कमाए | ब्लैक मनी को वाइट मनी में तब्दील करने के लिए छत्तीसगढ़ में एक बड़ा मनी लांन्ड्रिंग सेंटर खोला गया | मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से उन लोगों की आशाएं बंधी है जो , लंबे अरसे से इस प्रदेश में कानून का राज स्थापित होने का सपना देख रहे थे | राज्य के आधा दर्जन आरटीआई कार्यकर्ताओं ने प्रधानंमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पत्र भेजकर ऐसे आईपीएस अधिकारीयों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है जो पुलिस की वर्दी पहनकर कायदे कानूनों का मखौल उड़ा रहे है | उन्होंने इस पत्र में हवाला दिया है कि किस तरह से आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता ने अपने पद और प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए मिकि मेमोरियल ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन नंबर 3-बी/113/1/ 2000-2001 322 वल्लभ नगर रायपुर में अरबों रूपये डोनेट करवाए | आरटीआई कार्यकर्ताओं के मुताबिक अपने पिता जे.डी. गुप्ता निवासी प्रधान डाकघर राजेंद्र नगर बिलासपुर को इस ट्रस्ट में शामिल कर मुकेश गुप्ता ने खुद अप्रत्यक्ष रूप से इस ट्रस्ट की कमान संभाल ली थी |
छत्तीसगढ़ कैडर के विवादित आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता की कार्यप्रणाली को लेकर ना केवल पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार कटघरे में है , बल्कि भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय पर भी सवालियां निशान लग रहे है | इस अफसर के खिलाफ कई महत्वपूर्ण और गंभीर शिकायतों की जांच को फाइलों में कैद कर दिया गया | जबकि कई दूसरे अफसरों के खिलाफ सामान्य शिकायतों की रिपोर्ट मिलने के बाद कार्मिक मंत्रालय ने उन्हें या तो कम्पल्सरी रिटायरमेंट दे दिया , या फिर समय पूर्व नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया | भारतीय पुलिस सेवा जैसे महत्वपूर्ण सेवाओं से जुड़े इस अफसर ने रायपुर और बिलासपुर में MGM नामक संस्था का गठन सिर्फ अन्य स्रोतों से मिली ब्लैकमनी को ठिकाने लगाने के लिए किया बल्कि इस संस्था के जरिये अरबों रूपये का वारा न्यारा किया | दिलचस्प बात यह है कि MGM ट्रस्ट के वैधानिक दस्तावेज ना तो जिला प्रशासन के पास है , और ना ही उन विभागों के पास जहां से ट्रस्ट का संचालन नियंत्रित होता है | बताया जाता है कि इस ट्रस्ट के ज्यादातर दानदाता ऐसे उद्योगपति और व्यापारी है , जिनका प्रतक्ष्य या अप्रत्यक्ष रूप से पुलिस महकमे से पाला पड़ा है | उन मामलों के निपटारे के बाद बतौर रिश्वत नंबर एक में चेक के जरिये ट्रस्ट में दान दिया गया | इस उद्योगपति ने तो इस अवैध उगाही की शिकायत पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह से भी की थी | लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री ने इस अफसर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की | बताया तो यह भी जा रहा है कि पुलिस महकमे के कई छोटे अफसर सरकारी कार्य छोड़ MGM ट्रस्ट के संचालन और अस्पताल के नव निर्माण की बागडोर संभाले हुए थे | ऐसे अफसरों ने कांग्रेस सरकार के गठन के बाद से MGM अस्पताल और उसकी गतिविधियों से किनारा कर लिया है | एक जानकारी के मुताबिक MGM ट्रस्ट में आयकर की धारा 80 का बड़े पैमाने पर दुरूपयोग किया गया है | भूपेश बघेल के सत्ता संभालने और नयी सरकार के गठन के बाद MGM ट्रस्ट के अवैधानिक कृत्यों को वैधानिक बनाने के लिए आयकर सलाहकारों और चाटर्ड एकाउंटेंट की एक टीम दिन रात एक किये हुए है | राज्य के कई आरटीआई कार्यकर्ता मांग कर रहे है कि भारत सरकार को इस मामले में तत्काल कार्रवाई कर इस तरह के ट्रस्ट के संचालन पर रोक लगाई जानी चाहिए | दरअसल भारतीय प्रशासनिक सेवा में बने रहते इस तरह के ट्रस्ट के संचालन की अनुमति ना तो भारत सरकार द्वारा दी जाती है , और ना ही कार्मिक मंत्रालय द्वारा | ऐसे में सिर्फ रायपुर ही नहीं बल्कि बिलासपुर में भी MGM ट्रस्ट की समस्त गतिविधियां संदेह के दायरे में है | आरटीआई कार्यकर्ताओं के मुताबिक इस ट्रस्ट ने सेवा कार्य के बजाए सेंट्रल इंडिया में ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ के एक बड़े ठिकाने के रूप में कुख्याति अर्जित की है | यह भी बताया जा रहा है कि इस ट्रस्ट ने अपने अस्पताल निर्माण और दूसरे ठिकानों के विस्तार के लिए जोर जबरदस्ती और पुलिसिया रौब का इस्तेमाल कर भू मालिकों से जमीने अपने कब्जे में की है | पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के संरक्षण में इस ट्रस्ट की संपत्ति में जबरदस्त इजाफा हुआ | यहां तक की तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने MGM ट्रस्ट को करोड़ों की आर्थिक सरकारी सहायता दी थी |
आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता की चल और अचल संपत्ति की जांच किया जाना बेहद जरूरी है | मध्यप्रदेश सरकार के गृह मंत्रालय ने 09/07/1999 को DO लेटर जारी कर मुकेश गुप्ता की दुर्ग में भू-खंड क्रय करने के संबंध में जांच शुरू की थी | इसमें साडा भिलाई-दुर्ग नेहरू नगर में भू-खंड खरीदने और दिल्ली में प्लॉट क्रय किये जाने को लेकर ब्यौरा मांगा गया था | नगर सेना तथा नागरिक सुरक्षा मुख्यालय छत्तीसगढ़ में इस मामले की फाइल लंबे अरसे तक धूल खाते रही | छत्तीसगढ़ / 1373/गृह 2 दिसंबर 2006 के परिपत्र में जमीन की संदेहस्पद खरीदी-बिक्री का पूरा ब्यौरा भी दर्ज है | बताया जाता है कि अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए मुकेश गुप्ता ने इस मामले की जांच को आज तक लंबित रखा है | यह भी बताया जा रहा है कि इस जांच को रफा-दफा करने में मुख्यमंत्री सचिवालय में पूर्व पदस्थ विशेष सचिव अमन कुमार सिंह की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही | सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि , उत्तरप्रदेश के बरतल , शमशाबाद पश्चिम , तहसील कायमगंज , जनपद फर्रुखाबाद (उत्तरप्रदेश) की कृषि भूमि विक्रय की जांच भी छत्तीसगढ़ गृह मंत्रालय ने शुरू की थी | लेकिन इसे भी रफा-दफा कर दिया गया | आरटीआई कार्यकर्ताओं ने छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में इस अधिकारी की बेनामी संपत्ति की जांच की मांग की है |
फ़िलहाल आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता के खिलाफ पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर की शिकायतों की जांच डीजीपी गिरधारी नायक के हवाले है | उम्मीद की जा रही है कि वर्षों से लंबित तमाम शिकायतों की क़ानून के दायरे में ना केवल जांच होगी बल्कि , पीड़ितों को न्याय भी मिलेगा |