हाथों में इस इबारत के साथ एक बड़ी सी तख्ती पकड़े रायपुर के चौक चौराहों पर एक लड़का दिखता है | यकीन करना मुश्किल है लेकिन ये लड़का चुनाव लड़ रहा है | लोकसभा का | ये सब इसकी तख्ती पर पढ़कर पता लग जाता है | यकीन करना इसलिए मुश्किल है क्योंकि इस उम्मीदवार के पीछे न नारे लगाते लोगों का हुजूम है | न पेट्रोल के खर्चे पर बाइक लिए हजारों लोगों की भीड़ | न फूलों की बरसात | न ही ये किसी दूसरे नेता को गाली दे रहा है और न मंदिर मस्जिद, अली-बरजंग बली कर रहा है | वोट मांगने का तरीका गंदगी और गालियों से भरी पॉलिटिक्स में थोड़ा अलग सा है |
“सत्यमेव जयते , मैं प्रितेश पांडेय, आपका निर्दलीय प्रत्याशी , रायपुर लोकसभा में आपकी आवाज हूं | कृपया अपना बहुमूल्य वोट मुझे देकर युवा आवाज को बुलंद करें | ”
जशपुर के रहने वाले 25 वर्षीय प्रितेश पांडेय रंगकर्मी हैं डफली लेकर गाने गाते हैं , गाने गाकर ही प्रचार करते हैं | महात्मा गांधी इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी वर्धा से थिएटर से एमफिल किया है | रायपुर लोकसभा सीट से 26 उम्मीदवारों ने पर्चा भरा है | जिनमें प्रितेश सबसे कम उम्र के हैं | प्रितेश का कहना है कि पॉलिटिक्स में पैसे का बोलबाला है | नॉमिनेशन फाइल करने में ही लाखों रुपए खर्च हो जाते हैं | उन्होंने बताया कि अपने नाम का प्रस्तावक और वकील जुगाड़ने में ही काफी मेहनत करनी पड़ी | अभी यूथ तो उनके साथ जुड़ रहा है लेकिन बुजुर्गों के रेस्पॉन्स में ठंडक है | उन्हें लगता है कि निर्दलीय प्रत्याशी को वोट देना बेकार है, जो कि अभी राजनीति में आया है. प्रितेश का कहना है कि हार जीत से मतलब नहीं है, मैसेज जाना चाहिए |
प्रितेश पांडेय दो मुद्दों की बात करते हैं | एक तो बेरोजगारी, उसके बारे में तो बताने की जरूरत नहीं है | नेताओं की रैलियों में इतनी भीड़ देखकर ही पता चल जाता है कि कितनी बेरोजगारी है | प्रितेश का कहना है कि लोग लाखों रुपए खर्च करके डिग्रियां लेते हैं लेकिन नौकरी का कहीं जुगाड़ नहीं है | दूसरा मुद्दा पर्यावरण का है | जो कि बाकी राजनीतिक पार्टियों के मेनिफेस्टों में कोई जगह नहीं रखता |