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मोबाइल सुधारने देते हो तो हो जाए सावधान ,इस तरह से आप भी हो सकते है ब्लैकमेलिंग का शिकार 

कोरबा |अगर आपकी मोबाईल खरारब हो जाता है और उसे सुधारने के लिए देते है तो सावधान रहे ,कही आपके साथ भी ऐसा हादसा न हो जाए | दरअसल सैमसंग के सर्विस सेंटर में एक व्यापारी की पत्नी ने अपना मोबाइल सुधारने के लिए दिया था | इसके बाद वहां के एक कर्मचारी ने महिला के मोबाइल से प्रसनल तस्वीरें निकाल ली और फिर महिला को ब्लैकमेलिंग करने लगा |  वो महिला दस लाख की मांग करता था और धमकी देता था कि ,फर्जी फेसबुक आईडी बनाकर मैसेंजर में तस्वीरें पोस्ट देगा |  इंफॉरमेंशन टेक्नोलॉजी का जानकार होने के कारण इस शातिर अपराधी तक पहुंचने में पुलिस को एक माह का समय लग गया । इस मामले में आरोपी के एक और सहयोगी को गिरफ्तार किया गया है । 

बताया जा रहा है कि करीब दो माह पहले व्यापारी की पत्नी का एंड्रॉयड मोबाइल की स्क्रीन गिर जाने से टूट गई थी । सुधार कार्य के लिए उसने दर्री रोड स्थित सैमसंग कंपनी के सर्विस सेंटर में दिया था । यहां कार्यरत तुलसीनगर निवासी दुर्गेश पटेल को डाटा एंट्री के लिए मोबाइल भेजा गया, वह डाटा एंट्री करने के साथ ही मोबाइल को चेक करने लगा । इस दौरान महिला व उसके पति के साथ के निजी पलों की तस्वीरें उसके हाथ लग गई । उसने तस्वीरें चुपके से पेन ड्राइव में सेव कर लिया । इस बात की भनक भी किसी को नहीं लग सकी । इसके साथ ही उसे यह जानकारी भी हाथ लग गई कि महिला बड़े व्यापारी के घर की बहू  है । उसने इन तस्वीरों के माध्यम से उसे ब्लैकमेल करने की योजना बनाई और फर्जी फेसबुक आईडी तैयार कर महिला को फ्रैंडशिप रिक्वेस्ट भेजा । आमतौर पर फ्रैंडशिप रिक्वेस्ट बिना परिचय के भी एक्सेप्ट कर लिया जाता है । इस मामले में भी ऐसा ही हुआ और इसके साथ ही मैसेंजर में ब्लैकमेलर ने फोटो पोस्ट करने लगा । यह देख महिला भौचक रह गई । यहीं नहीं ब्लैकमेलर उससे 10 लाख रुपये की मांग करने लगा । हैरान महिला ने अपने पति को इस घटना की जानकारी दी और उसने कोतवाली में बीते 27 अगस्त को इसकी लिखित शिकायत की । मामला साइबर सेल को भेजा गया, पर तकनीक जानकार होने के कारण आरोपी दुर्गेश ने पुलिस को इस कदर उलझाया कि पसीने छूट गए। एक महीने के मशक्कत के बाद आखिरकार पुलिस ने दुर्गेश और उसके साथी ढोढ़ीपारा निवासी सुभाष पटेल को गिरफ्तार कर लिया है । आरोपियों के खिलाफ आईटी एक्ट के तहत अपराध पंजीबद्ध कर कार्रवाई की जा रही । 

दुर्गेश इस कदर शातिर है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने अपने मोबाइल से फर्जी फेसबुक आइडी बनाने की जगह सबसे पहले बिलासपुर के ओएलएक्स से पुराना मोबाइल खरीदा । वह भली-भांति जानता था कि ओएलएक्स में खरीदे गए मोबाइल में आइएमआइ नंबर उस व्यक्ति का दिखाएगा, जिसने उसे दुकान से नया खरीदा था । यही नहीं उसने सिम कार्ड भी बिलासपुर के ही एक व्यक्ति के आधार कार्ड की कॉपी के आधार पर एलॉट करा लिया। पुलिस आइएमआइ के आधार पर बिलासपुर के युवक तक पहुंची, तब पता चला कि वह एक अधिकारी का पुत्र है । साथ ही यह जानकारी मिली कि वह अपना मोबाइल ओएलएक्स में बेचा था । पुलिस ओएलएक्स में पहुंची और सीसीटीवी खंगाली तो यहां भी पुलिस के हाथ निराशा लगी । मोबाइल खरीदने वाला हेलमेट लगाकर आया था और फर्जी आधार कार्ड देकर ले गया था । पुलिस को सबसे ज्यादा परेशानी लोकेशन ट्रेस करने में हुई, क्योंकि आयरलैंड का दिखा रहा था । दरअसल आरोपित दुर्गेश ने तकनीकी जानकारी का लाभ उठाते हुए लोकेशन में छेड़छाड़ कर दिया था । यही नहीं वह इंटरनेट कॉल का इस्तेमाल करता थाए जिससे लोकेशन पुलिस को ढूंढऩे में परेशानी हुई। कहते हैं अपराधी चाहे जितना भी शातिर हो, कहीं न कहीं सबूत छोड़ जाता है । दुर्गेश भी कुछ इसी वजह से पुलिस के हत्थे चढ़ा । लोकेशन तो वह पुलिस से बचा लिया, पर आइपी एड्रेस इंडिया का ही था । यही वजह है कि पुलिस यह भली-भांति जानती थी कि आयरलैंड का नहीं  है । अंतत: पुलिस उस तक पहुंचने में कामयाब रही । आरोपित दुर्गेश मूलत: पाली थाना क्षेत्र के नुनेरा बांधाखार का रहने वाला है । उसने सोचा भी नहीं था कि पुलिस उस तक पहुंच जाएगी, इसलिए वह सर्विस सेंटर में लगातार काम पर भी आ रहा था ।

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