मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की विधानसभा क्षेत्र में ‘नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी’ पर भू-माफियाओं का कब्जा | भूमिहीन कृषकों को दी गई सरकारी जमीन मुकेश गुप्ता की मदद से अपने नाम करवाई “वालफोर्ट सिटी” के मालिकों ने |

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 छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के गृह नगर और विधानसभा क्षेत्र में ही ‘नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी’ पर भू-माफियाओं ने कब्जा जमाना शुरू कर दिया है | इस ग्रामीण इलाके के कई छोटे बड़े गांवों के इर्द-गिर्द खाली पड़ी सरकारी जमीनों पर बड़े पैमाने पर कब्जा हो रहा है | कब्जे के इस खेल में स्थानीय ग्रामीणों से लेकर , जमीनों की खरीदी बिक्री करने वाले दलालों और बिल्डरों की मिलीभगत सामने आ रही है | इस गोरखधंधे में तहसील कार्यालय के बाबू और राजस्व अधिकारी भी शामिल है | सरकारी जमीनों में हो रहे कब्जे के चलते “विलीज लैंड” का नामों निशान मिटता जा रहा है | नतीजतन ‘नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी’ का संरक्षण दांव पर है |


रायपुर से सटे तहसील पाटन जिला दुर्ग के ग्राम महुदा पटवारी हल्का नंबर 7 रा.नि.म. अमलेश्वर में 38 एकड़ भूमि वालफोर्ट सिटी के पंकज लाहौटी , गोपाल रामचंद्र सोनकर , राजीव और शिवमूरत ने अवैध तरीके से खरीदकर छत्तीसगढ़ सरकार की आँखों में धूल झोंका है | वर्तमान में इस जमीन का बाजार भाव एक अरब चौदह करोड़ के लगभग आँका गया है | सबसे गंभीर बात यह है कि यह सरकारी जमीन भूमिहीन कृषकों को कृषि कार्य करके जीवन यापन करने के लिए शासकीय पट्टे पर दी गई थी | एक जानकारी के मुताबिक ग्रामीणों को लालच देकर एक साथ जमीन की रिजिस्ट्री बिल्डरों ने करवाई | बताया जाता है कि वालफोर्ट सिटी के ज्यादातर प्रोजेक्ट स्वीकृत नक़्शे के अनुरूप नहीं है | एक शिकायतकर्ता के मुताबिक वालफोर्ट सिटी के निर्माण कार्यों की जांच बेहद जरूरी है | उसके मुताबिक निलंबित डीजी मुकेश गुप्ता के संरक्षण के चलते वालफोर्ट सिटी के कर्ताधर्ताओं ने जमकर नियम विरुद्ध कार्य किया है |

कई गंभीर मामलों में आरोपी बनाए गए निलंबित डीजी मुकेश गुप्ता की भू-माफियाओं के साथ भी सांठगाठ है | अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि मुकेश गुप्ता ने छत्तीसगढ़ के नागरिकों और पीड़ितों से उगाही कर इक्कठा की गई रकम को रियल स्टेट प्रोजेक्ट पर भी निवेश किया है | इसकी भी जांच बेहद जरुरी है | बताया जाता है कि EOW के तत्कालीन ADG मुकेश गुप्ता के निर्देश पर दुर्ग जिले में पदस्थ कुछ राजस्व अधिकारी और पटवारियों ने पाटन इलाके के किसानों को उनके पट्टे रद्द करने की धमकी दी थी | ग्रामीणों से कहा गया था कि वो “वालफोर्ट सिटी” को यह सरकारी जमीन सौंपे वरना ना तो वे “घर के रहेंगे और ना ही घाट के” | ग्रामीणों ने मारे डर के चंद रुपयों में यह जमीन बिल्डरों को सौंप दी | बताया जाता है कि “वालफोर्ट सिटी” के इस प्रोजेक्ट की हकीकत जांचे बगैर “रेरा” ने भी प्रोजेक्ट स्वीकृत कर दिया | अब इन इलाकों के किसानों को एक बार फिर रोजी-रोटी के लिए मोहताज होना पड़ रहा है | बिल्डरों ने जो रकम दी थी , वो चंद दिनों में ही खर्च हो गई | जिन किसानों के सरकारी पट्टों की बिल्डरों ने रजिस्ट्री कराई है , वो इस प्रकार है |