रायपुर | छत्तीसगढ़ पुलिस इन दिनों दो किस्म के आरोपियों की तलाश में जुटी है | इसमें से एक पुलिस की वर्दी में अपराधिक वारदातों को अंजाम देता था ,जबकि दूसरा सादी वेशभूषा में | इसे दिलचस्प कहे या संयोगवश , दोनों ही आरोपियों का नाम मुकेश गुप्ता है | ये और बात है कि दोनों की वल्दियत अलग-अलग है | लेकिन हरकते एक जैसी है , मसलन वारदात करने के “तौर -तरीके” जिसे अंग्रेजी में “मॉडस ऑपरेंटी” कहा जाता है | एक वर्दीधारी डकैत है जिसने छत्तीसगढ़ के भीतर और बाहर अपराधिक वारदातों को अंजाम दिया है | जबकि दूसरे ने सादे कपड़ो में रायपुर जिले में अपराधिक वारदातें की है | हम बात कर रहे है , रायपुर कोतवाली के कुख्यात “हिस्ट्रीशीटर” मुकेश गुप्ता वल्द अरविंद गुप्ता की | हालांकि दूसरा आरोपी भी कुख्यात ही है | इसका नाम मुकेश गुप्ता वल्द जयदेव गुप्ता है , जो कि वर्ष 1988 बैच का आईपीएस अधिकारी है | छत्तीसगढ़ पुलिस महकमे में “डीजी” के पद पर तैनात यह शख्श भी किसी “हिस्ट्रीशीटर” से कम नहीं है | उसके खिलाफ रायपुर में “दो” और दुर्ग जिले के भिलाई स्थित सुपेला थाने में “एक” FIR दर्ज है | अपराधिक प्रवृति के चलते राज्य सरकार ने इस अफसर को निलंबित भी कर दिया है | इस तरह से इस निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता के खिलाफ कुल तीन FIR दर्ज है ,जबकि आधा दर्जन मामलों में अभी विवेचना का दौर जारी है | इस तरह से आरोपी मुकेश गुप्ता भी पुलिस की “हिस्ट्रीशीट” में शामिल हो गया है |
रायपुर पुलिस ने गुंडे बदमाशों के खिलाफ जबरदस्त अभियान छेड़कर उन्हें जेल की सैर कराने के लिए सक्रियता दिखाई है | उसने तमाम थाना क्षत्रो के “हिस्ट्रीशीटरों” को धर दबोचना शुरू कर दिया है | अब तक एक सैकड़ा से ज्यादा गुंडे बदमाश रायपुर पुलिस के हत्थे चढ़े है | पुलिस के इस अभियान को “ऑपरेशन थडंर ” नाम दिया गया है | एसएसपी रायपुर आरिफ शेख और आईजी रायपुर रेंज डॉ आनंद छाबड़ा के निर्देशन में चल रहे “ऑपरेशन थडंर ” से नागरिको को काफी राहत मिली है | लंबे अरसे बाद पुलिस ने गुंडे बदमाशों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर अपनी मौजूदगी का एहसास दिलाया है | कई इलाको में गुंडे बदमाश या तो भूमिगत हो गए है ,या फिर पुलिस के खौफ से शहर छोड़कर भाग निकलना ही मुनासिब समझ रहे है | रोजाना ,दर्जनों बदमाशों के गिरेबान में हाथ डालकर पुलिस कर्मियों ने उन्हें जेल की हवा खिलाने में कोई कसर बांकि नहीं छोड़ रहे है | इस बीच रायपुर कोतवाली का एक “हिस्ट्रीशीटर ” मुकेश गुप्ता वल्द अरविंद गुप्ता की काफी चर्चा है | अभी तक ये बदमाश पुलिस की पकड़ में नहीं आया है | बताया जाता है कि गिरफ्तारी के भय से यह बदमाश शहर छोड़ कही बाहर भाग निकला है | कोतवाली पुलिस उसकी तलाश में जोरशोर से जुटी हुई है | लेकिन यह बदमाश भी कम चालाक नहीं है | महीने भर से फरार चल रहे एक निलंबित आईपीएस अधिकारी की तर्ज पर यह मुकेश गुप्ता “पुलिस” की आँखों में धूल झोंक रहा है | उसके खिलाफ अकेले कोतवाली थाने में एक दर्जन से ज्यादा गंभीर मामलो में FIR दर्ज है | रायपुर पुलिस ने कोतवाली थाने के इस ” हिस्ट्रीशीटर ” की धर पकड़ के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है | बावजूद इसके यह बदमाश समाचार लिखे जाने तक उसकी गिरफ्त में नहीं आया है | हालांकि रायपुर पुलिस का दावा है कि मुकेश गुप्ता वल्द अरविंद गुप्ता जल्द ही उसकी गिरफ्त में होगा |
दूसरी ओर भिलाई के सुपेला थाने के “वांटेड” आरोपी मुकेश गुप्ता वल्द जयदेव गुप्ता की भी दुर्ग पुलिस को तलाश है | धोखाधड़ी और सरकारी दस्तावेजों की कूटरचना जैसे संगीन मामलो में उसके खिलाफ FIR दर्ज की गई है | पुलिस को उम्मीद है कि उसका यह आरोपी पांच जुलाई को अपने अन्य अपराधों को लेकर रायपुर स्थित EOW के मुख्यालय में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगा | लिहाजा सरकारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद वो इस आरोपी को धर दबोचेगी | इस उम्मीद में दुर्ग पुलिस ने रायपुर में मुख्यमंत्री निवास के करीब स्थित आरोपी मुकेश गुप्ता के सरकारी निवास के अलावा उसके कई ठिकानो में चौकसी बढ़ा दी है | इस आरोपी के करीबी दुर्ग निवासी भोपाल खंडेलवाल से भी पूछताछ की गई है | छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े “नान घोटाले” और राज्य के नागरिको के अवैध रूप से “फोन टेपिंग” करने जैसे गंभीर मामलो में आरोपी मुकेश गुप्ता वल्द जयदेव गुप्ता के खिलाफ दो अलग -अलग FIR दर्ज है | इस मामले में उसके बयान दर्ज किए जाने का सिलसिला जारी है | यही नहीं डीजी जेल एवं होमगार्ड गिरधारी नायक ने इस कुख्यात आरोपी के खिलाफ “मिक्की मेहता” हत्याकांड की जाँच कर मामले की रिपोर्ट “राज्य सरकार” को सौप दी है | इस जाँच रिपोर्ट का भी परीक्षण किया जा चूका है | यही नहीं सरकारी सेवा में रहते “दो पत्नी” रखने के मामले में भी आरोपी मुकेश गुप्ता के खिलाफ विभागीय जांच पूरी हो चुकी है | जबकि रायपुर और बिलासपुर में “एमजीएम ट्रस्ट” खोलकर और “वर्दी का धौंस” जमाकर नागरिको से रिश्वत की रकम इस ट्रस्ट के खातों में “बतौर दान” जमा कराने के मामलो की जांच, जारी है | बताया जाता है कि अस्पताल की आढ़ में “एमजीएम ट्रस्ट” मनीलॉन्ड्रिंग के कारोबार से जुड़ा हुआ है | इस ट्रस्ट ने जांच के दौरान रायपुर जिला प्रशासन को कभी भी कोई विधिसंगत दस्तावेज सौपने में गंभीरता नहीं दिखाई | एक जानकारी के मुताबिक आरोपी मुकेश गुप्ता ने इस ट्रस्ट के नाम पर लगभग दो हजार करोड़ की चल-अचल संपत्ति बनाई है | यह भी जानकारी आई है कि यह कुख्यात आरोपी अपने खिलाफ समाचार संकलन ना करने को लेकर पत्रकारों को मोटी रकम का लालच देने में जुटा है |
उधर एक घटनाक्रम में एंटी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो से निलंबित डीजी मुकेश गुप्ता के करीबी माने जाने वाले एएसआई और हवलदारों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है | “स्पेशल -26” नामक इस समूह को अलग -अलग शिकायतो के कारण लाइन हाजिर किया गया है | बताया जाता है कि अवैध उगाही के लिए कुख्यात , आरोपी मुकेश गुप्ता अधिकांश मामलो की विवेचना “स्पेशल -26” की टीम से करवाता था | बताया जाता है कि इस टीम की कार्यप्रणाली किसी “अपराधिक गिरोह” से कम ना थी | भ्रष्ट सरकारी अफसरों से लेकर ठेकेदारों और उद्द्योगपतियों से “एमजीएम ट्रस्ट” में रिश्वत की रकम दान करवाने के मामले में यह गिरोह काफी सक्रिय था | यही नहीं आरोपी मुकेश गुप्ता की कार्यप्रणाली भी डीजी एसीबी और ईओडब्ल्यू की हैसियत से नहीं बल्कि इस गिरोह के सरगना की तर्ज पर थी | लिहाजा आरोपी मुकेश गुप्ता वल्द जयदेव गुप्ता ने अपनी करीबी रेखा नायर के नाम पर करोडो की बेनामी संपत्ति अर्जित की थी | बताया जाता है कि आरोपी मुकेश गुप्ता की सरपरस्ती में “सुपर -26” टीम सीधे उन्हें ही रिपोर्ट करती थी | ना तो एसीबी के तत्कालीन एसपी रजनेश सिंह और अन्य डीएसपी | यहाँ तक कि कब ,कहाँ , कैसे और किसके ठिकानो में छापा मारना है ,इसकी पुख्ता जानकारी विभाग के आलाअफसरों के बजाए सिर्फ “सुपर -26” गिरोह को होती थी | बताया जाता है कि इस टीम को रवानगी देने से पहले इनके तमाम गंभीर अपराधों की फेहरिस्त भी तैयार की गई है | फ़िलहाल आरोपी मुकेश गुप्ता वल्द अरविंद गुप्ता और आरोपी मुकेश गुप्ता वल्द जयदेव गुप्ता की गिरफ्तार के प्रयास जोरो पर है |