मादा जंगली सुअर अपने दो शावकों के साथ कुंए में गिरी , कड़ी मशक्कत के बाद सुरक्षित कुंए से निकाला |

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धरमजयगढ़ वन मंडल के लैलूंगा वन परिक्षेत्र में बीते शाम मादा जंगली सुअर अपने दो शावकों के साथ जंगल से भटक कर गांव तक पहुंच गए थे । इसके बाद यहां एकाएक वे कुंए में गिर गए । कुए सूअर के चिल्लाने की आवाज आने पर ग्रामीणों ने पास जाकर देखा तो मामलें की जानकारी हुई | ग्रामीणों ने इसकी सूचना फ़ौरन वन विभाग के अमला को दी । मौके पर पहुंचे वन विभाग के अमले ने 20 घंटो की कड़ी मशक्कत के बाद तीनों जंगली सुअर को कुंए से बाहर निकाला और सुरक्षित जंगल की ओर छोड़ा ।


मिली जानकारी के मुताबिक बीते शाम लैलूंगा वन परिक्षेत्र के अंर्तगत ग्राम टटकेला में जंगल से भटक कर एक मादा जंगली सुअर अपने दो बच्चों के साथ पहुंच गई और यहां खाना व पानी की तालाश करते दौरान तीनों जंगली सुअर एक कुंए में गिर गए । इसके बाद उनकी आवाज को सूनकर ग्रामीणों को उनके कुंए में गिरने की जानकारी हुई । इसके बाद ग्रामीणों ने मामले की सूचना वन अमला को दी । मामले की जानकारी लगते ही लैलूंगा उप वनमंडलाधिकारी सहित परिक्षेत्र अधिकारी अपनी टीम के साथ तत्काल मौके पर पहुंचे और तीनों जंगली सुअर को निकालने के लिए रेस्क्यू शुरू कर दिया गया । शुरूआत में उन्हें निकालने के कई उपाए किए गए, लेकिन सफलता नहीं मिलने पर जेसीबी से कुंए तक खोद कर रास्ता बनाने का निर्णय लिया गया । इसके बाद जेसीबी से खोदाई शुरू किया गया और बीस घंटे की मशक्कत के बाद आखिरकार कुंए से रास्ता बन जाने के बाद एक-एक कर तीनों जंगली सुअर को सुरक्षित बाहर निकाला गया । कुंए से बाहर निकलते हुए जंगली सुअर जंगल की ओर भागे । इसके बाद उन पर नजर रखा गया और जब वे सुरक्षित जंगल तक पहुंच गए, तो विभाग ने राहत की सांस ली । धरमजयगढ़ वन अमला के इस रेस्क्यू की क्षेत्र में सराहना की जा रही है । धरमजयगढ़ वन मंडल के डीएफओ प्रणय मिश्रा के मुताबिक मादा जंगली सुअर अपने दो शावकों के साथ कुंए में गिर गई थी । जिसे करीब बीस घंटे की मशक्कत के बाद कुंए से बाहर निकाल कर सुरक्षित जंगल तक पहुंचाया गया ।


गर्मी में पानी के लिए भटकते हैं

वन्यप्राणी वन विभाग के मुताबिक गर्मी के दिनों में जंगल में पानी की स्त्रोत सूख जाता है । इस कारण वन्यप्राणी पानी की तालाश में जंगल से भटकते हुए गांव, बस्ती तक पहुंच जाते हैं । हर साल इस तरह की कई घटना देखने को मिलती है । हांलाकि विभाग के कर्मचारियों को इसकी जानकारी होने पर उसे सुरक्षित जंगल तक पहुंचाने के लिए प्रयास किया जाता है ।