महाराष्ट्र में सत्ता का संघर्ष अब राष्ट्रपति शासन की तरफ पहुंचता दिखाई दे रहा है | किसी भी दल को बहुमत न मिलने के चलते 24 अक्टूबर के बाद से अब तक राज्य में सरकार गठन नहीं हो पाया है | बीजेपी और शिवसेना दोनों को राज्यपाल सरकार बनाने के लिए बुला चुके हैं और उनके चांस खत्म हो गए हैं | आज एनसीपी की बारी है | इससे पहले ही मोदी कैबिनेट ने राष्ट्रपति शासन पर फैसला ले लिया है और राष्ट्रपति को सिफारिश भेज दी है | इस बीच शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है |
महाराष्ट्र में सत्ता संघर्ष के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में कैबिनेट बैठक बुलाई है | इस बैठक में महाराष्ट्र के राजनैतिक हालात को देखते हुए वहां राष्ट्रपति शासन लगाने पर फैसला लिया जा सकता है | महाराष्ट्र में सरकार गठन पर जारी सस्पेंस के बीच मोदी कैबिनेट ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की है | इससे पहले राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन के लिए अपनी सिफारिश राष्ट्रपति को भेजी थी | सूत्रों के मुताबिक, राज्यपाल को एनसीपी ने दोपहर 12:30 बजे चिट्ठी लिखकर अपने पास बहुमत नहीं होने की जानकारी दी थी और 3 दिन का समय मांगा था |
इसके बाद राज्यपाल ने एनसीपी को दिए शाम 8:30 बजे तक के समय के खत्म होने की प्रतीक्षा किए बिना ही चिट्ठी के आधार पर राज्य में किसी भी दल के सरकार नहीं बना पाने की स्थिति की रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेज दी | गृह मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को केंद्रीय कैबिनेट के पास भेजा और उसके बाद केंद्रीय कैबिनेट की इमरजेंसी बैठक बुलाई गई इस बैठक में महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने को मंजूरी दे दी गई |
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की सुगबुगाहट के बीच उद्धव ठाकरे ने कपिल सिब्बल को फोन किया है। सूत्रों के अनुसार अगर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा तो शिवसेना कोर्ट जाएगी। शिवसेना कोर्ट में इस बात को रखेगी की अगर बीजेपी को बहुमत साबित करने के लिए 3 दिन का समय दिया गया था तो उन्हें भी इतना समय क्यों नहीं दिया गया । उद्धव ठाकरे ने इस मामले में कपिल सिब्बल को फोन कर कानूनी राय ली है ।