पूर्व चीफ सेक्रेटरी विवेक ढांढ और EOW के एडीजी पर हमलावर रुख अपनाना बीजेपी को पड़ा “महंगा” | रमन सिंह समेत अन्य नेताओ के आरोपों को “सरकार” ने लिया गंभीरता से | 

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छत्तीसगढ़ की राजनीति अब “करवट” बदलने जा रही है | जल्द ही बीजेपी के कई बड़े नेताओ के अलावा उन  नौकरशाहों पर नकेल कसने वाली है, जिन्होंने “नान घोटाले” को ना केवल अंजाम तक पहुंचाया बल्कि कई आरोपियों को जेल की हवा खिलाने के बाद अदालत में यह कहने से नहीं चूके कि नागरिक आपूर्ति निगम में कोई घोटाला ही नहीं हुआ है | हालांकि निष्पक्ष जांच के दौर में दो आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला के काम -काज और भूमिका की भी जांच हो रही है | इस बीच करोडो की रकम की अफरा तफरी के प्रमाणिक दस्तावेज मिलने से कई धुरंधर नेताओ की मुसीबत बढ़ सकती है |    

छत्तीसगढ़ में “नान घोटाले” की जांच को रफा -दफा करने के लिए बीजेपी का अप्रत्यक्ष दबाव  “पार्टी” नेताओ को ही महंगा पड़ गया है | हाल ही में बीजेपी नेताओ ने “सरकारी मशीनरी” पर अप्रत्यक्ष हमला करते हुए पूर्व चीफ सेक्रेटरी विवेक ढांढ को सुपर “सीएम” करार दिया था | जबकि “नान घोटाले” के संदेही और भ्रष्टाचार में लिप्त व आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोपी चिंतामणि चंद्राकर के हलफनामे का सहारा लेकर EOW के एडीजी  जीपी सिंह पर भी अप्रत्यक्ष हमला किया था | बीजेपी नेताओ के तमाम आरोपों को सरकार ने गंभीरता से लिया है और उन बयानों की सत्यता के आधार पर “नान घोटाले” की जांच को “निष्पक्ष” रूप से करके कड़ी कार्रवाई को “अंजाम” तक पहुंचाने के निर्देश दिए है | सूत्रों का मानना है कि “नान घोटाले” में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह समेत आधा दर्जन मंत्रियों और नौकरशाहों के खिलाफ पुख्ता सबूत हाथ लगे है | लिहाजा संभावित कार्रवाई को कमजोर करने के लिए बीजेपी “सरकारी मशीनरी” पर दबाव बना रही है | इसी के चलते सुपर “सीएम” का शिगूफा छोड़ने और EOW पर दबाव बनाने की कोशिश हो रही है | मंत्रालय से सूत्र बता रहे है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और बीजेपी के अनावश्यक और बेतुके आरोपों को बेहद गंभीरता से लिया है | उन्होंने निर्देशित किया है कि “चोरी की चोरी और सीना जोरी ” पर उतारू “घोटालेबाजो” का “काला चिट्ठा” अदालत को सौपकर जनता के सामने उन्हें बेनकाब कर दिया जाए | अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि जल्द ही आधा दर्जन से ज्यादा प्रभावशील नेताओ और अफसरों के खिलाफ गंभीर धाराओं के तहत FIR दर्ज होगी | इसमें पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ,उनकी पत्नी वीणा सिंह ,तत्कालीन ओएसडी विक्रम सिसोदिया और राधेश्याम गुप्ता समेत एक अन्य के खिलाफ पुख्ता सबूतों के तहत गैर-जमानती धाराओं में अपराध पंजीबद्ध होगा | जबकि नान के तत्कालीन एमडी कौशलेन्द्र सिंह ,लीलाराम भोजवानी और तत्कालीन खाद्य मंत्री पुन्नूलाल मोहले के खिलाफ भी सहपठित धाराओं के तहत गैर-जमानती प्रकरण दर्ज होगा |

“नान घोटाले” पर करीब से निगाह रखने वाले सूत्र बता रहे है कि EOW के पूर्व एडीजी मुकेश गुप्ता द्वारा नष्ट महत्वपूर्ण सबूतों को पुनः प्राप्त कर लिया गया है | इसके आलावा उन साक्ष्यों को भी संज्ञान में लिया गया है ,जिसे दरकिनार कर पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने पहले तो “नान घोटाले” में FIR दर्ज कराई थी ,फिर अदालत में “घोटाले” से ही इंकार कर दिया था | सूत्र बता रहे है कि EOW के पास इतने कारगर और पुख्ता सबूत है कि बीजेपी को “बगले झांकना” पड़ेगा | अब यह मामला अदालत में “राजनैतिक” नहीं बल्कि “अपराधिक” तकाजे पर तौला जाएगा | “घोटाले” में लिप्त आरोपियों से सरकारी तिजोरी में हुए नुकसान की भरपाई के लिए भी पृथक से प्रकरण तैयार कर अदालत में सौपा जाएगा | इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनके करीबियों समेत अन्य संदेहियों की संपत्ति का ब्यौरा भी तैयार किया जा रहा है | सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि “नान घोटाले” के प्रमुख आरोपी  शिवशंकर भट्ट ने ऐसे सबूत जांच अधिकारीयों को सौपे है ,जो भ्रष्टाचार की “कहानी” को सिलसिलेवार तरीके से प्रमाणित कर रहे है | लिहाजा माना जा रहा है कि “बीजेपी” का दांव अब उल्टा पड़ गया है | 

उधर “नान घोटाले” को लेकर  पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को पार्टी के भीतर उतना समर्थन नहीं मिल पा रहा है ,जितना की उन्हें भरोसा था | सिर्फ रमन सिंह गुट के चंद नेता ही उनके समर्थन में खड़े दिखाई दे रहे है , इनमे से ज्यादातर दूसरी और तीसरी पंक्ति के नेता है | यह भी बताया जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनके परिजनों के लिए “नान घोटला” , “गले की फांस” बन सकता है | एक जानकारी के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के मंत्रिमंडल के कई सदस्यों के अलावा संगठन के ज्यादातर नेताओ और पंद्रह साल तक मलाई खाने वाले “नौकरशाहों” तक ने मुसीबत के इस दौर में उनसे दूरियां बना ली है | 


उधर “नान घोटाले” को लेकर कांग्रेस ने पूरी तरह से हमलावर रुख अपना लिया है | उसने रमन सिंह के “चाउर वाले बाबा” की छवि को तहस-नहस करने के लिए कोई कसर बांकि नहीं छोड़ी है | मामले के आरोपी शिवशंकर भट्ट के तमाम बयानों और सबूतों को आम जनता के बीच उछालने से “बीजेपी” और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह की “साख” तक दांव पर लग गई है | कांग्रेस लोगो के बीच यह संदेशा देने में कामयाब रही है कि तत्कालीन रमन सिंह सरकार के बीते पंद्रह सालो के कार्यकाल में से पूरे दस साल लोक-कल्याणकारी कार्यो से ज्यादा “घोटालो” को अंजाम देने में बीते | कांग्रेस ने लोगो के बीच यह भी प्रचारित किया कि अपनी कमजोर कड़ी पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी को पार्टी से निकाल बाहर कर उसने बीजेपी की “रीढ़ की हड्डी ” तक तोड़ दी | फ़िलहाल अपनी रणनीति के तहत कांग्रेस के तमाम हमले बीजेपी पर भारी पड़ रहे है | ये और बात है कि दंतेवाड़ा उपचुनाव में कांग्रेस पर बीजेपी “हावी” है |