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पुलिस महकमे में फिर निर्मित हो रही है ,” जग्गी हत्याकांड ” जैसी परिस्थितियां |


आरोपी डीजी मुकेश गुप्ता ने एसपी रजनेश सिंह समेत दर्जन भर इंस्पेक्टरों की बर्खास्तगी का रास्ता साफ किया | 

रायपुर | हम तो डूबे सनम , तुम्हे भी ले डूबेंगे | ये जुमला आपने कई बार सुना होगा | अब यह जुमला छत्तीसगढ़ पुलिस महकमे में एक बार फिर कारगार होता दिख रहा है | छत्तीसगढ़ कैडर के कुख्यात डकैत  और निलंबित डीजी मुकेश गुप्ता ने एक बार फिर कई पुलिस कर्मियों के भविष्य पर सवालियां निशान लगा दिया है | इस कुख्यात अफसर ने उन पुलिस कर्मियों से कई अवैधानिक कार्य कराए , कई बेगुनाहो को हवालात की सैर कराई और तो और मोटी रकम अपने जेब में डालकर थानेदारों से कई गंभीर मामलों में दर्ज FIR तक फड़वा डाली | अब जब गैर -क़ानूनी गतिविधियों पर से पर्दा हट रहा है ,तो आरोपी मुकेश गुप्ता खुद पाक -साफ निकलने के चक्कर में अपनी काली करतूतों पर से पल्ला झाड़ते हुए उन पुलिस कर्मियों पर दोषारोपण कर रहा है , जिन्होंने उसके गैर -क़ानूनी निर्देशों को भी अमलीजामा पहनाया था |  ताजा मामला ” नान घोटाले और अवैध फोन टेपिंग ” के मामलो में उसके प्राथमिक बयानों के दर्ज होने के बाद सामने आया है | 



EOW  में अपने बयान दर्ज कर आरोपी मुकेश गुप्ता ने अपनी कई काली करतूतों से पल्ला झाड़ने की जमकर कवायत की है | प्राप्त जानकारी के अनुसार ” नान घोटाले ” में कई अहम् सबूत नष्ट करने और अदालत में आधा अधूरा चालान पेश करने को लेकर हुई पूछताछ में इस कुख्यात आरोपी ने एसीबी के तत्कालीन पुलिस अधिक्षक रजनेश सिंह और डीएसपी आरके दुबे को जिम्मेदार ठहराया है | बताया जाता है कि आरोपी मुकेश गुप्ता ने अपने बयानों में कहा है कि ” नान घोटाले ” की जांच संबधी समस्त जिम्मेदारी तत्कालीन एसपी रजनेश सिंह की थी | वे ही ” इन्वेस्टिगेशन और अदालती प्रक्रिया ” को अंजाम दे रहे थे | आरोपी मुकेश गुप्ता ने यह भी कहा है कि ” नान घोटाले की डायरी ” और छापेमारी प्रक्रिया से सीधे तौर पर उनका कोई लेना देना नहीं है | EOW के तत्कालीन डीजी मुकेश गुप्ता ने खुद को अपीलीय अधिकारी बताते हुए कई महत्वपूर्ण त्रुटियों और गैर -क़ानूनी कार्यप्रणाली के लिए रजनेश सिंह को जिम्मेदार ठहराया है | इस कुख्यात आरोपी ने EOW में दर्ज कई FIR को सौदा पटने के बाद फाड़े जाने को लेकर भी रजनेश सिंह पर दोषारोपण किया है | बताया जाता है कि EOW में लेनदेन के बाद कई भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ दर्ज प्रकरणों की FIR तक फाड़ दी जाती थी | ताकि मामले को रफा दफा किया जा सके |  जानकारी के मुताबिक EOW के तत्कालीन एडीजी और मौजदा आरोपी मुकेश गुप्ता उन भ्रष्ट अफसरों से मोटी रकम लिया करता था | 


     
 EOW में तैनात ” सुपर -26 ” नामक टीम की भी अब पोल खुलने लगी है | बताया जाता है कि इस टीम में आरोपी मुकेश गुप्ता ने अपने विश्वांसपात्र इंस्पेक्टरों और थानेदारों की तैनाती की थी | यह टीम एक गिरोह के रूप में काम करती थी ,जिसका सरगना खुद आरोपी मुकेश गुप्ता था | इस टीम ने आरोपी मुकेश गुप्ता के निर्देश पर EOW में दर्ज कई मामलो में छापेमारी और विवेचना की थी | इस दौरान कई भ्रष्ट अफसरों से मोटी रकम वसूल कर उन्हें ” अभयदान ” दे दिया गया था | इसमें वाणिज्यकर विभाग का तत्कालीन डिप्टी कमिशनर एसएल अग्रवाल का नाम भी शामिल है | बताया जाता है कि एसएल अग्रवाल के यहाँ छापामारी कर EOW की ” सुपर -26 ” टीम ने करोडो की बेनामी संपत्ति के दस्तावेज और कई सबूत जप्त किये थे | बाद में इस मामले में आरोपी मुकेश गुप्ता के निर्देश के बाद ” सुपर -26 ” टीम ने पहले तो उन सबूतों को नष्ट किया फिर अदालत  में खात्मा रिपोर्ट पेश कर दी | इस प्रकरण के आलावा कई अन्य गंभीर मामलो में भी मोटी रकम लेकर उन्हें रफा दफा कर दिया गया था | अब उन प्रकरणो की फाइल नए सिरे से खुल रही है तो आरोपी मुकेश गुप्ता अपना पल्ला झाड़कर “सुपर -26 ” टीम पर ही दोषारोपण कर रहा है | पूछताछ के दौरान उसने कई गंभीर मसलो पर चुप्पी साधी रही और अनभिग्यता जाहिर करते हुए ” सुपर -26 ” टीम के इंस्पेक्टरों को जिम्मेदार ठहराया है | एक जानकारी के मुताबिक अहम् सबूत नष्ट करने ,कमजोर विवेचना ,अदालत में आधे अधूरे चालान पेश करने और दर्ज FIR फाड़ने को लेकर हुई प्रारंभिक जांच में कई इंस्पेक्टर प्रथम दृष्टिया दोषी पाए गए है | EOW के आलाधिकारी अब ऐसे इंस्पेक्टरों की सेवा समाप्त करने अथवा बर्खास्तगी के लिए विभागीय जांच की तैयारी में जुटा है | EOW के एक अधिकारी के मुताबिक गैर क़ानूनी गतिविधियों में लिप्त “सुपर -26 ” टीम के दर्जन भर इंस्पेक्टरों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई भी होगी | 


 उधर आरोपी मुकेश गुप्ता ने अपनी बेहद करीबी महिला हवलदार रेखा नायर को बचाने के लिए
 एसीबी के तत्कालीन एसपी रजनेश सिंह को बुरी तरह से लपेट लिया है | बताया जाता है कि अवैध ” फोन टेपिंग ”  को लेकर यदि रजनेश सिंह का पक्ष कमजोर पड़ा तो उनकी बर्खास्तगी अथवा समयपूर्व रिटायरमेंट पक्का माना जा रहा है | रजनेश सिंह के खिलाफ दर्ज FIR में अवैध ”  फोन टेपिंग ”  को लेकर कई पुख्ता सबूत EOW  के हाथो में है |  अवैध ” फोन टेपिंग ”  को लेकर अपने दर्ज बयानों में आरोपी मुकेश गुप्ता ने रजनेश सिंह की तगड़ी घेराबंदी की है | अवैध रूप से फोन टेप करने और दस्तावेजों की कूट रचना के लिए उसने रजनेश सिंह को ही जिम्मेदार ठहराया है , जबकि हवलदार रेखा नायर की किसी भी तरह की भूमिका से इंकार किया है | आरोपी मुकेश गुप्ता ने अपने बयानों में कहा है कि अवैध ” फोन टेपिंग ” को लेकर ना तो उनका और ना ही रेखा नायर का दूर -दूर तक कोई लेना देना नहीं है | इससे साफ है कि अवैध ” फोन टेपिंग ”   गोरखधंधा सिर्फ तत्कालीन एसपी रजनेश सिंह ही संचालित कर रहे थे |     

   गौरतलब है कि “नान घोटाले ” और ” अवैध फोन टेपिंग ” की जाँच को लेकर वही स्थिति निर्मित हो गई है जो पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के वर्ष 2002-03 के कार्यकाल में निर्मित हुई थी | इस दौरान हुए  ” जग्गी हत्याकांड ” में निर्दोषो को फंसाने और फर्जी FIR दर्ज करने को लेकर दस पुलिसकर्मी  बर्खास्त हुए थे | इसमें ज्यादातर इंस्पेक्टर रेंक के अफसर शामिल थे | ये वही पुलिसकर्मी थे जिन्होंने रायपुर के तत्कालीन पुलिस अधिक्षक मुकेश गुप्ता के निर्देश पर षड्यंत्र रचा था | मुकेश गुप्ता के निर्देश पर तत्कालीन जांच अधिकारियों ने बुंटू पाठक नामक शख्स के खिलाफ फर्जी FIR दर्ज की और उसे ” जग्गी हत्यकांड ” का शूटर बताया था | यही नहीं इस षड्यंत्र को अमलीजामा पहनाने के लिए तत्कालीन पुलिस अधिक्षक के निर्देश पर इन पुलिस कर्मियों ने एक वाहन में आग भी लगाईं थी | ताकि फर्जीवाडे को सच साबित किया जा सके | हालांकि ” जग्गी हत्याकांड ” की हकीकत सीबीआई जांच के दौरान स्पष्ट हुई |  इसमें 31 आरोपियों समेत दस पुलिस कर्मियों को सजा भुगतनी पड़ी | लेकिन फर्जी FIR दर्ज कराने वाला सूत्रधार मुकेश गुप्ता बच निकला था | इस बार भी वो ” नान घोटाले ”  और ” अवैध फोन टेपिंग ” के मामले में  निचले स्तर के पुलिस कर्मियों और अपने मातहत अधिकारियों को दोषी साबित कर खुद निर्दोष बाहर निकलने के चक्कर में है | हालांकि EOW  के पास इतने पुख्ता सबूत है कि आरोपी मुकेश गुप्ता को खुद भी जेल की हवा खानी पड़ सकती है | मामले की विवेचना से साफ हो रहा है कि आने वाले दिनों में आरोपी मुकेश गुप्ता को भी समय पूर्व रिटायरमेंट या बर्खास्तगी की मार झेलनी पड़ सकती है | अब देखना होगा कि आरोपी मुकेश गुप्ता अपने साथ -साथ और कितने पुलिस कर्मियों को भी ले डूबता है |                     

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