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पाकिस्तानी धरती पर उतरते ही भारतीय पायलट अभिनंदन के साथ हुआ बुरा सलूक |


         बुधवार को पाकिस्तानी हमलावर विमान का पीछा करते हुए भारतीय पायलट अभिनंदन पाकिस्तान अधिकृत इलाके में जा फंसे | बताया जाता है कि LoC से मात्र सात किलोमीटर दूर स्थित भीबर जिले के होरान गांव में वे पैराशूट से नीचे उतरे | मौके पर मौजूद रज्जाक चौधरी नामक शख्स ने उन्हें आसमान से नीचे आते देखा और शोरगुल मचाया | इसी दौरान गांव के दक्षिणी छोर में एक विमान भी क्रैश हुआ था |  वे पैराशूट कर गए और पाकिस्तान में उतरे ।  देखते ही देखते पायलट अभिनंदन को ग्रमीणों ने घेर लिया | कुछ ही देर में पाक आर्मी के जवानों ने उन्हें अपने कब्जे में ले लिया | पाकिस्तानी ग्रमीणों और सेना के जवानों ने वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन के साथ गाली-गलौज और मारपीट भी की | बावजूद इसके इस निर्भीक पायलट ने पाकिस्तानियों के सामने घुटने नहीं टेकें  | अभिनन्दन के जस्बे की पूरे देश में तारीफ हो रही है | 

     भारतीय पायलट अभिनंदन की जो शुरूआती वीडियो पाकिस्तान से आए हैं, उनमें वो जख़्मी दिख रहे हैं । उनके चेहरे पर रक्त फैला हुआ है । एक वीडियो में अभिनंदन को कुछ लोग पीटते हुए दिख रहे हैं । एक अन्य वीडियो में अभिनंदन की आंखों पर पट्टी है । भारत सरकार ने पाकिस्तान से इन पायलट को वापस करने की मांग के साथ उसके इस कृत्य की सख्त लहजों में भर्त्सना की है । भारत का तर्क है कि पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय कानून का सरासर उल्लंघन किया है ।  इस कानून के तहत ही भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी गुहार लगाई है और अपनी शिकायत दर्ज की है ।

       जेनेवा सम्मेलन में युद्ध के दौरान सेनाओं, गिरफ्तार सैनिकों और घायल लोगों के साथ कैसा बर्ताव करना है, इसको लेकर कई प्रकार के दिशा निर्देश हैं |  जेनेवा कन्वेंशन के आर्टिकल तीन के मुताबिक युद्ध के दौरान लड़ाकों के घायल होने पर अच्छा इलाज कराना होगा |  गिरफ्तार सैनिक के साथ बर्बर व्यवहार नहीं किया जा सकता है | 

     आपको बता दे कि युद्धबंदियों के लिए भी बाकायादे एक अंतरराष्ट्रीय कानून है । पहली बार 1864 दुनिया के कुछ मुल्कों ने युद्धबंदियों के अधिकारों को लेकर एक करार किया । इस संधि को मानवता के लिए जरूरी कदम बताया गया । इसे जेनेवा संघि  कहते हैं। इसके बाद 1906 और 1929 में क्रमश: दूसरी और तीसरी संधि हुई । दूसरे विश्व युद्ध के बाद 1949 में 194 देशों ने जेनेवा संधि पर हस्ताक्षर किए । यह चौथी संधि थी । इस तरह से जेनेवा समझौते में अब तक चार संधियां और तीन मसौदे शामिल है । 

        युद्ध के दौरान जेनेवा संधि देशों के लिए एक आचार सहिंता की तरह कार्य करती है । इसके तहत संधि के तहत घायल सैनिक की उचित देखरेख की जाती है । संधि के तहत युद्धबंदी बनाए गए सैनिकों के खान-पान का पूरा ध्यान रखा जाता है । युद्धबंदी को सभी जरूरी चीजें मुहैया कराई जाती है । किसी भी गिरफ्तार सैनिक के साथ अमानवीय बर्ताव करना जेनेवा संधि का उल्लंघन माना जाएगा । बंदी बनाए गए सैनिक को डराया या धमकाया नहीं जा सकता ।  सैनिक की जाति, धर्म, जन्म आदि बातों के बारे में नहीं पूछा जाता । गिरफ्तार सैनिक से सिर्फ उनके नाम, सैन्य पद, नंबर और यूनिट के बारे में पूछा जा सकता है । इस संधि के तहत युद्धबंदियों के साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार पर रोक लगाई गई है ।सैनिको के साथ किसी भी तरह का भेदभाव पर रोक लगाई गई । इसके साथ ही युद्ध में बंदी सैनिकों के लिए कानूनी सुविधा भी मुहैया करानी होगी |  इस संधि के तहत युद्धबंदियों को किसी तरह से धमकाए जाने पर रोक है । उन्हें अपमानित नहीं किया जा सकता । इस संधि के मुताबिक युद्धबंदियों पर मुकदमा चलाया जा सकता है । जेनेवा संधि युद्ध के दौरान युद्धग्रस्त देशों के लिए एक अंतरराष्ट्रीय आचार सहिंता की तरह काम करता है । इस समझौते में सैनिको के अधिकारों का उल्लेख किया गया है । गिरफ्तार सैनिकों के साथ कैसा बर्ताव करना है, इसको लेकर एक स्पष्ट दिशा निर्देश दिए गए हैं । जेनेवा संधि के अनुच्छेद-3 के मुताबिक युद्ध के दौरान घायल युद्धबंदियों का उपचार कराने का स्पष्ट निदेश है । युद्ध के बाद सैनिको को वापस लैटाना होता है । कोई भी देश युद्धबंदियों को लेकर जनता में उत्सुकता पैदा नहीं कर सकता ।

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