अत्यधिक वायु प्रदूषण फैल रहा,पैरा जलाने से निकल रही जहरीली गैस -अधिकारी
विश्व पर्यावरण दिवस पर गरियाबंद से पर्यावरण को बेहद नुकसान पहुंचाने वाली एक ऐसी तस्वीर सामने आई है | जिसे देखकर आपको भी यकीनन पीड़ा होगी यहां सैकड़ों एकड़ खेत में बचे हुए पैरे को इस तरह जलाया जा रहा है कि पूरा इलाका धुए से भरा जा रहा है | तस्वीर में लगी भयंकर आग इससे होने वाले पर्यावरण को नुकसान की गंभीरता बता रही है | अत्यधिक वायु प्रदूषण के परिणाम भी भुगतने पड़ रहे हैं | जिस जगह पर हम ने वीडियो बनाया उससे महज 1 किलोमीटर दूर पोटरी फार्म में 1509 मुर्गियां दम घुटने से मर गई |
विश्व पर्यावरण दिवस पर जहां प्रदेश और देश के बाकी हिस्सों में पर्यावरण बचाने लोग प्रदूषण ना फैलाने की कसमें खा रहे हैं | वही गरियाबंद जिले में बेखौफ होकर पर्यावरण को अत्यधिक नुकसान पहुंचाने का कार्य चल रहा है | प्रशासन की लाख मनाही के बावजूद गरियाबंद जिले में अन्नदाता इन दिनों अपने खेतों को आग लगा रहे हैं | ऐसी भयंकर आग की देखकर किसी का भी दिल सिहर उठे | दरअसल ज्यादातर खेतों में धान की फसल को हार्वेस्टर से कटवा लिया गया है और पैरा खेत में ही पड़ा हुआ है | मवेशियों की संख्या अब इतनी कम हो चुकी है कि बचा हुआ पैरा उनके लिए ले जाने की जरूरत नहीं पड़ रही | वहीं किसान परंपरागत रूप से भी यह मानते हैं कि बचे हुए धान के पैरे को आग लगाने से उसकी राख अगली फसल के लिए खाद बन जाती है और अगली फसल अच्छी आती है | बस इसी फेरे में किसानों को ना पर्यावरण की चिंता होती है ना सरकार की मनाही की | गरियाबंद जिले के पांडुका के आसपास के सैकड़ों एकड़ खेत भयंकर रूप से जल रहे थे आग ऐसी थी कि कई किलोमीटर दूर से लपटें साफ नजर आ रही थी एक साथ काफी चौड़ाई में लगाई गई या आग काफी तेज गति से बढ़ती जा रही थी और एक खेत से दूसरे खेत में पहुंचती भी जा रही थी | आग की ऐसी भयावहता देखकर राहगीर भी सिहर उठे |
दरअसल पैरा ज्यादा होने पर आग की लपटें कई फीट ऊपर तक उठती नजर आ रही थी | इन सबके बीच बड़ा सवाल ये की आखिर क्यों मनाही के बावजूद किसानों को ऐसा करने से रोका नहीं जा पा रहा है | वैसे खेतों में रहने वाले कई छोटे छोटे जीव जंतु इस आग के चलते हर साल मरते हैं जिसे रोकने की आवश्यकता है पिछले कुछ सालों में देखें तो आग लगाने की यह प्रवृत्ति कम होने की बजाय उल्टे बढ़ती ही जा रही है | इस पर अब सख्त कदम उठाने की जरूरत अब महसूस की जा रही है | दरअसल एनजीटी ए रिपोर्ट के अनुसार खेत में बच्चे हुए पैरा को जलाने पर जहां कई जहरीली गैस निकलती है पर्यावरण को नुकसान होता है वही उस इलाके के सूक्ष्म जीव जंतु भी जलकर मर जाते हैं | प्रशासन ने इसके लिए मना ही तो की है लेकिन कार्रवाई नहीं होने के चलते कोई इन नियमों को मानने तैयार नहीं है |
इस संबंध में गरियाबंद के कृषि अधिकारी नरसिंह ध्रुव उनका कहना है कि इससे निकलने वाली जहरीली गैसों से पर्यावरण को बहुत अधिक नुकसान होता है | इसीलिए हमने किसानों को बच्चे हुए पहले से खाद बनाने की विधि का प्रशिक्षण दिया फिर भी किसान मेरे को आग लगाना बंद नहीं कर रहे हैं | वैसे आग लगाने से जमीन की उपजाऊ क्षमता बढ़ती नहीं कम होती है | इसे रोकने हमारे हाथ में केवल समझाई देना ही है | वायु प्रदूषण की हमारी यह बात हवा-हवाई नहीं है इसके दुष्परिणाम भी तत्काल सामने आने लगे हैं | जिस जगह पर हम ने वीडियो बनाया धू-धू कर खेत जल रहे थे वायु प्रदूषण हो रहा था | उससे महज 1 किलोमीटर दूर आग की लपटें जब वहां पहुंची तो पोटरी फार्म में दम घुटने से 15 सो मुर्गियों की मौत हो गई पोटरी फार्म के चौकीदार ने पहले तो आग बुझाने का प्रयास किया लेकिन इस आग की भयावहता के चलते उसकी जान भी जोखिम में पड़ रही थी | जिसके बाद उसने भागकर अपनी जान बचाई लेकिन 15 मुर्गियां वायु प्रदूषण की भेंट चढ़ गई इतना ही नहीं आग जब शांत होती है तो खेत में कई प्रकार के जीव जंतु मरे हुए पड़े मिलते हैं | बिलों में सांप हो या खेतों के मेंढक सब कुछ जलकर राख हो चुका होता है | खेतों को आग लगाने वाले किसानों को भी अब समझना चाहिए कि अपने थोड़े से फायदे के लिए वे इस बड़े पैमाने पर प्रदूषण फैला कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना बंद करें ताकि लोग कम से कम स्वच्छ हवा में सांस तो ले सकें |






