गेंदलाल शुक्ला /
कोरबा। नगर पालिक निगम कोरबा के आयुक्त राहुल देव ने मंगलवार को कथित रूप से घटिया डामरीकरण के मामले में ठेकेदार पर तो गजब का सितम ढाया, लेकिन निगम अफसरों पर भरपूर मेहरबानी दिखाई। ठेकेदार को जहाँ दो लाख रुपयों की चपत लगा दी, वहीं निगम अफसरों को केवल चेतावनी देकर छोड़ दिया। यह दूसरा अवसर है, जब निगम आयुक्त ने दोहरा मापदण्ड अपनाया।
बता दें कि इतवारी बाजार क्षेत्र में चित्रा टाकिज के सामने से रानी गेट की ओर जाने वाली सड़क में आयुक्त ने डामरीकरण कार्य का निरीक्षण किया। डामरीकरण कार्य लगभग 600 मीटर की लम्बाई में किया गया है, जिसमें 25 मीटर की लम्बाई में डामर की मात्रा कम होने व कार्य अपेक्षित गुणवत्तापूर्ण न होने पर उन्होने उक्त 25 मीटर सड़क पर पुनः कार्य कराने के निर्देश दिया।
नगर निगम की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार इस मौके पर आयुक्त राहुल देव ने अधिकारियों को कड़े निर्देश देते हुए कहा कि जिन सड़कों की मरम्मत व सुधार का कार्य अभी बांकी हैं, वहां पर मरम्म्त के कार्यो में तेजी लाएं तथा सड़कों का मरम्मत कार्य पूरा करें। उन्होने कहा कि सड़क डामरीकरण कार्य के दौरान गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दें तथा यह अंतिम रूप से सुनिश्चित करें कि कार्यो में गुणवत्ता की शिकायतें न आयें, उन्होने स्पष्ट रूप से कहा कि कार्य गुणवत्ताहीन पाए जाने पर संबंधित निर्माण एजेंसी व जिम्मेदार अधिकारी पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
याद रहे कि निगम आयुक्त ने इससे पहले भी गांघी चौक में फर्जी टेंडर पकड़ने के बाद टेंडर निरस्त कर निगम अफसरों को कड़ी चेतावनी दी थी। पिछली बार जिस सहायक यंत्री को उन्होंने उपकृत किया था, उसे ही अब दोबारा मौका दिया है। कहीं दाल में काला तो नहीं है, यह सवाल हवा में गूंजने लगा है। क्योंकि निगम की व्यवस्था के अनुसार निगम का सुपरवाइजर, उपयंत्री और सहायक यंत्री नियमित रूप से कार्यों की मॉनिटरिंग करते हैं। इसके बाद भी घटिया काम हो जाये तो माना जाता है कि अफसरों की सरपरस्ती है। अब आई ए एस निगम आयुक्त को खुद अपने आदेश की समीक्षा कर लेनी चाहिए कि उन्होंने क्या निर्णय लिया है। बाकी पब्लिक तो समीक्षा कर ही रही है।