डीजीपी डीएम अवस्थी को “गुमराह” करना महंगा पड़ा निलंबित डीजी मुकेश गुप्ता को | “अनुशासनहीनता” को लेकर कड़ी कार्रवाई की सिफारिश |

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पुरानी कहावत है “चोरी तो चोरी ऊपर से सीना जोरी ”  ऐसा आचरण करना राज्य के निलंबित डीजी और कई गंभीर मामलो के आरोपी मुकेश गुप्ता को महंगा पड़ गया है | दरअसल   निलंबन अवधि में आरोपी मुकेश गुप्ता ने एक दिन भी पुलिस मुख्यालय में अपनी आमद दर्ज  नहीं कराई, उल्टा वो अपनी गैर-हाजरी को लेकर डीजीपी डीएम अवस्थी से कु-तर्क करता रहा | आखिरकर पुलिस मुख्यालय ने इस “अनुशासनहीन ” अफसर को कानून का डंडा दिखा दिया |  लंबे  समय से लगाकर गैर-हाजिर होने के चलते इस कुख्यात अधिकारी को डीजीपी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था | इस नोटिस के जवाब में आरोपी मुकेश गुप्ता ने अपनी  गैर-हाजरी का कारण बताया था कि “निलंबन अवधि में ड्यूटी में हाजिर रहने का कोई नियम नहीं है” | हालांकि अपने इस तर्क को लेकर उसने कोई वैधानिक दस्तावेज पेश नहीं किए थे | आरोपी अफसर के इस जवाब से पुलिस मुख्यालय हतप्रभ था | 


           उधर आरोपी के इस जवाब की पड़ताल वैधानिक प्रक्रियाओं के तहत की गई थी | राज्य के गृह-विभाग से लेकर केंद्रीय गृह-मंत्रालय से  निलंबन अवधि के दौरान गैर-हाजरी के नियमो को खंगाला गया | लेकिन डीजी स्तर के अफसर की गैर-हाजरी को लेकर ना तो कोई दिशा निर्देश मिले और ना ही ऐसे कोई प्रावधान | इससे साफ हुआ कि प्रशासनिक परंपरा के तहत निलंबित अवधि में आरोपी अफसर को जहां अटैच किया जाता है ,वहां उसे अपनी नियमानुसार उपस्थिति दर्ज करानी होगी | तत्कालीन डीजी EOW एवं ACB मुकेश गुप्ता को  दिंसबर 2018 को  निलंबित किया गया था | लगातार करीब साढ़े चार माह तक गैर -हाजिर रहने के चलते 14 मई 2019 को उसे “कारण बताओ नोटिस” भेजा गया था | एक हफ्ते बाद आरोपी डीजी ने इसका जवाब देते हुए अपना “कु-तर्क” पेश किया था | क़ानूनी परीक्षण के बाद उसका यहाँ दावा खोखला साबित हुआ | 


 छत्तीसगढ़ के डीजीपी डीएम अवस्थी ने गृह-विभाग को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि निलंबन अवधि में लगातार गैर-हाजिर होना ,आरोपी का “अनुशासनहीनता और गैर-जिम्मेदराना ” रवैया दर्शाता है | लिहाजा सरकारी सेवा नियमो के अनुसार आरोपी निलंबित डीजी के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई करने का कष्ट करे | बताया जा रहा है कि अपराधिक आचरण वाले इस आईपीएस अधिकारी की अब “गोपनीय चरित्रावली” भी खंगाली जा रही है | एक जानकारी के मुताबिक पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में राजनैतिक संरक्षण के चलते इस कुख्यात आरोपी ने कई अवैधानिक गतिविधियों और अपराधों को अंजाम दिया था | बावजूद इसके राजनैतिक दबाव में तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारियों ने आरोपी मुकेश गुप्ता की “गोपनीय चरित्रावली” को चमकाए रखा | उसके खिलाफ कोई वैधानिक टिप्पणी ना दर्ज करते हुए “वैरी-गुड़” और ” ग्रेड -1″ रिमार्क दिया गया था | लेकिन अब उसके तमाम गुनाह उसकी गोपनीय चरित्रावली में दर्ज किए जाने के निर्देश दिए गए है | जल्द ही इस कुख्यात आरोपी की “कुंडली” भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय को भेजी जाएगी | बताया जा रहा है कि इस आरोपी के पूर्ववर्ती कार्यकाल और कार्यप्रणाली को देखते हुए कार्मिक मंत्रालय ने उसका नाम “छटनी योग्य” आईपीएस अधिकारियो की सूची में पहले ही डाल रखा है | इस सूची में ऐसे अधिकारियो को शामिल किया गया है , जिन्होंने तीस  वर्ष की सेवा अवधि पूरी कर ली है |