छत्तीसगढ़ हॉउसिंग बोर्ड में “संविदा नियुक्ति” की बोली “एक करोड़” तक पहुंची | “पिछले दरवाजे” से होने वाली “संविदा नियक्ति” से कर्मचारियों में नाराजगी | मुख्यमंत्री से हस्ताक्षेप की मांग |

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छत्तीसगढ़ हॉउसिंग बोर्ड में संविदा नियुक्ति को लेकर “मोटी बोली” लगाए जाने  की खबर है | दो साल तक कार्यकाल की संविदा नियुक्ति के लिए “नगद रकम” का आंकड़ा “एक करोड़” तक पहुंच गया है | इसके आलावा संविदा नियुक्ति पाने वाले अधिकारी को समय -समय पर नियोक्ता को “उपकृत” करना होगा | यह खबर हॉउसिंग बोर्ड के महकमे से ही आ रही है | इसमें दावा किया जा रहा है कि सोमवार दिनांक 08-07-2019 के उपरांत कुछ महत्वपूर्ण पदो पर संविदा नियुक्ति का पत्र संबधित अफसरों को हाथो -हाथ मिल जाएगा | इसके लिए बस उन्हें “नगद नारायण ” के दर्शन कुछ प्रभावशील नेताओ को कराने होंगे | विभाग में कार्यरत अधिकांश कर्मचारियों ने “संविदा नियुक्ति” को लेकर नाराजगी जाहिर की है | उनकी दलील है कि पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल की तर्ज पर  मौजूदा कांग्रेस सरकार में भी गैर-जिम्मेदाराना तरीके से “संविदा नियुक्ति” का कारोबार चल पड़ा है | इससे उन अधिकारियो और कर्मचारियों को अपनी पदनोन्नति के लिए बाट जोहनी होती है ,जिनके पदों पर रिटायर कर्मियों को संविदा नियुक्ति दी जाती है |  कर्मचारियों ने यह भी कहा है कि “संविदा नियुक्ति” के लिए प्रयासरत रिटायर अफसर सार्वजनिक रूप से दावा कर रहे है कि “एक करोड़” की अदाएगी के बाद उन्हें दोबारा उसी पद पर तैनाती का भरोसा मिला है | इस तरह से के दावों से विभाग की छबि धूमिल हो रही है | कर्मचारियों ने विभागीय मंत्री मोहम्मद अकबर और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मांग की है कि हॉउसिंग बोर्ड में होने वाली “संविदा नियुक्ति”  पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाईं जाए | हालांकि यह भी जांच का विषय है कि आखिर क्यों  “संविदा नियुक्ति” का बाजार उछाल मार रहा है | 

पांच साल पहले रिटायर हुए मुख्य संपदा अधिकारी सीएस बाजवा को एक बार फिर “संविदा नियुक्ति” देने को लेकर हॉउसिंग बोर्ड में विवाद छिड़ गया है | सीएस बाजवा पिछले पांच साल से “संविदा नियुक्ति” के जरिए अपने पद पर बने हुए है | “संविदा नियुक्ति” का उनका कार्यकाल  30 जून 2019 को खत्म हो चूका है | इसके बावजूद भी वो नियमित रूप से अपने पद पर कार्यरत है | बताया जा रहा है कि एक बार फिर उनका कार्यकाल “संविदा नियुक्ति” के जरिए बढ़ाया जा रहा है | लिहाजा उनकी “संविदा नियुक्ति” की पूर्ववर्ती म्याद खत्म  होने के बावजूद उनका प्रभार किसी को नहीं दिया गया है | मुख्य संपदा अधिकारी सीएस बाजवा भी अपनी “संविदा नियुक्ति” को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है | उन्हें उम्मीद है कि सोमवार दिनांक 08-07-2019 के उपरांत एक बार फिर उन्हें “संविदा नियुक्ति” का “अभयदान” प्राप्त हो जाएगा | इसके लिए उन्होंने तमाम औपचारिकताए पूरी कर दी है | 

भ्रष्टाचार और कई अनियमितताओं से घिरे है , सीएस बाजवा :- 


“संविदा नियुक्ति” के जरिए एक बार फिर हॉउसिंग बोर्ड में दबिश डालने वाले मुख्य संपदा अधिकारी सीएस बाजवा की कार्यप्रणाली को लेकर खुद हॉउसिंग बोर्ड सवालों के घेरे में है | इस अधिकारी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों की जाँच अब तक लंबित है | दरअसल मुख्य संपदा अधिकारी के पद पर रहते उनके खिलाफ भ्रष्टाचार और हाऊसिंग बोर्ड को करोडो का चूना लगाने के कई मामले विचाराधीन है, तो कई जांच रिपोर्ट फाइलों में कैद होकर रह गयी है | एक जानकारी के मुताबिक सीएस बाजवा ने अपनी पत्नी आर.के. बाजवा के नाम से  रायपुर के सद्दू इलाके की आलिशान लोकेशन पर 50 लाख के मकान को मात्र 35 लाख में खुद फिक्स कर अपनी पत्नी को आवंटित कर दिया था |  जबकि उन्हें आवंटित HIG D – 39 के इर्द गिर्द के सभी मकानों की कीमत  50 लाख के लगभग तय कर हाऊसिंग बोर्ड ने तमाम ग्राहकों को बेचा था | दिलचस्प बात यह है कि सम्पदा अधिकारी की कुर्सी पर बैठ कर  स्वयं की पत्नी के नाम स्वीकृत मकान का फिक्सेशन पति सी.एस. बाजवा ने खुद ब खुद तय कर अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग ही नहीं किया बल्कि एक ही झटके में छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड को 15 लाख का चूना भी लगा दिया था | इस आवंटन को रद्द कर उनके खिलाफ वैधानिक कार्यवाही किये जाने की प्रक्रिया अभी तक लंबित है |  बताया जाता है कि बाजवा के इस मकान के आस पास हाऊसिंग बोर्ड ने अन्य जो मकान बनाये है उनका क्षेत्रफल 9500 रूपये  प्रति स्कवेयर मीटर की दर से स्वीकृत किया गया है | जबकि उनकी पत्नी श्रीमती आर के बाजवा को वही क्षेत्रफल का मकान मात्र 1700 रूपये  स्कवेयर   मीटर की दर पर स्वीकृत कर आवंटित किया गया | चौंकाने वाली बात यह है कि हाऊसिंग बोर्ड के जब सारे मकान एक ही स्थान पर है और सभी का क्षेत्रफल एक समान ही है, तो कीमत में इतना अंतर् क्यों ?  पुष्ट जानकारी के मुताबिक सीएस बाजवा ने अपनी पत्नी के नाम पर जो मकान क्रय किया है , उसकी दर उन्होंने खुद तय कर उसे  कम कर दिया | जबकि शेष विक्रेताओं को कलेक्टर गाइड लाइन के मुताबिक दर तय कर यह मकान बेचे गए | यही नहीं दुर्ग जिले के भिलाई में “तालपुरी प्रोजेक्ट” में करोडो के घोटाले को लेकर भी सीएस बाजवा पर उंगलिया उठ रही है | इस मामले में उनकी कार्यप्रणाली पूरी तरह से संदिग्ध साबित हुई है | भ्रष्टाचार के सबूतों को रफ-दफा करने के लिए भिलाई में स्थित पद्मनापुर के  हाऊसिंग बोर्ड के दफ्तर में मुख्य सम्पदा अधिकारी सीएस बाजवा की निजी सेवा में तैनात मुलाजिम अचानक चाबी लेकर पंहुचा और उस बंद कमरे का ताला खोल कर उसमे दाखिल हो गया था  | इस कर्मी ने   ” तालपुरी प्रोजेक्ट” की सभी महत्वपूर्ण फाइलें और दस्तावेज अपने कब्जे में लेकर सीएस बाजवा को सौपे थे | हालांकि “मनोहर” नामक इस शख्स के फ़ाइल और दस्तावेज इकठ्ठा करते वक्त के वीडियों फुटेज कर्मचारियों ने अपने कैमरे में कैद कर लिया था | बताया जाता है कि भारी भ्रष्टाचार के चलते नौ सौ करोड़ की लागत वाला “तालपुरी प्रोजेक्ट” अपारदर्शितापूर्ण कार्यप्रणाली के चलते मात्र चार सौ करोड़ में ही सिमटा दिया गया था | 

फ़िलहाल यह देखना गौरतलब होगा कि हॉउसिंग बोर्ड में दागी अफसरों को “संविदा नियुक्ति” से नवाजा जाएगा या फिर “ईमनादार” अफसरों को तरजीह मिलेगी |