रायपुर / छत्तीसगढ़ महालेखाकार ने सदन में शुक्रवार दोपहर को प्रेस वार्ता लेते हुए महालेखाकार डी आर पाटिल ने बताया की 2017-18 की रिपोर्ट गंभीर व चौकाने वाली रही है । राज्य हित में नुकसान होने की बात महालेखाकार ने कही है। महालेखाकार ने कहा कि 2017-18 में कुल 88 हजार 5 सौ 90 करोड़ का बजट पेश किया गया था जिसमे से 18 हजार 8 सौ 86 करोड़ का इस्तेमाल ही नहीं हो सका| इसी तरह से 5 हजार 8 सौ करोड़ रुपये लेप्स हो गए| वहीं 31 मार्च को 13 हजार 8 सौ करोड़ रुपये जमा हुए, लेकिन विकास में उसका इस्तेमाल नहीं हो सका | छत्तीसगढ़ महालेखाकार के द्वारा दी गई जानकारी के कुछ बिंदू निम्न है-
17 प्रतिशत की बजाय 18.4 प्रतिशत था. 8100 करोड़ लोन लेने लिया था | डायरेक्ट एजेंसी को केंद्र का पैसा गया | 5378 करोड़ ज़्यादा, जबकि ये पैसा राज्य के मार्फ़त होना था 6990 का कम राजस्व जमा हुआ | Gst से राज्य का राजस्व कम हुआ | 1400 करोड़ का पब्लिक सेक्टर में पैसे लगाने से हुआ नुकसान | 2001 से 17-18 तक 3 हजार करोड़ से ज़्यादा रेगुरलरिसद नहीं हुआ है1 500 करोड़ अब भी भूमि अधिग्रहण का पड़ा हुआ है , ये ब्लॉकेज ऑफ फण्ड है | विभागों करीब 3500 करोड़ 5 साल से वसूल नहीं पा रही है | केंद्र ने 17-18 में करीब 5 हज़ार करोड़ रुपये सीधे इम्पलेमेंटिंग एजेंसी को दे दिया | ये पैसे राज्य सरकार को मिलने थे. यानी केंद्र ने अपने ही नियम का उल्लंघन किया |
