शशिकांत साहू /
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज 112 पद्म पुरस्कारों की घोषणा की है | छत्तीसगढ़ के दो विभूतियों को पद्म सम्मान मिला है | पंडवानी गायिका तीजन बाई को पद्म विभूषण और अनूप रंजन पांडेय को पद्मश्री सम्मान मिलेगा | तीजन बाई को लोक कला क्षेत्र में कार्य को लेकर सम्मान दिया गया है | तीजन बाई को तीन बार सर्वोच्च उपाधि डी लिट से भी सम्मानित किया जा चूका है । इससे पहले भी तीजन बाई को अलग-अलग यूनिवर्सिर्टी ने तीन बार शिक्षा की सर्वोच्च उपाधि डी लिट से सम्मानित किया है । देश ही नहीं विदेशों में भी इनके नाम से लोग पंडवानी को जानते हैं । अनूप रंजन पांडेय को कला और संगीत के लिए पद्मश्री सम्मान दिया गया है | अनूप बस्तर बैंड के लिए प्रसिद्ध है |
राष्ट्रपति ने 4 पद्मविभूषण, 14 पद्म भूषण और 94 पदमश्री दिए जाने की घोषणा की है | यह पुरस्कार कला, साहित्य, शिक्षा, समाज सेवा, विज्ञान व इंजीनियरिंग, व्यापर व उद्योग लोक मामलों आदि के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए दिया जा रहा है | पद्म पुरस्कार पाने वालों में 21 महिलाएं, एक ट्रांसजेंडर और 11 विदेशी, एनआरआई शामिल हैं | वहीं पद्म पुरस्कारों में से तीन वैसे हैं जिन्हें मरणोपरान्त यह सम्मान दिया जा रहा है | लोक गायिका तीजन बाई पद्म विभूषण, दिवगंत पत्रकार कुलदीप नैयर पद्म भूषण, अभिनेता मोहन लाल पद्म भूषण, इसरो साइंटिस्ट नांबी नारायण पद्म भूषण, पर्वतारोही बिछेंद्रीपाल पद्म भूषण, अभिनेत कादर खान पद्मश्री, अभिनेता मनोज वाजपेयी पद्मश्री, क्रिकेटर गौतम गंभीर पद्मश्री, फुटबॉलर सुनील छेत्री पद्मश्री, कोरियोग्राफर प्रभु देवा पद्मश्री और, पहलवान बजरंग पूनिया पद्मश्री सहित कुल 112 लोगों को पद्म पुरस्कार से नवाजे जाने की घोषणा की गई है |
आपको बता दें कि तीजन बाई की पहचान छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध पंडवानी गायिका के तौर पर होती है । तीजन बाई को साल 1988 में पद्म श्री और 2003 में पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया था । 2007 में उन्हें नृत्य शिरोमणि से भी सम्मानित किया जा चुका है । दरअसल पंडवानी एक ऐसी एक शैली है जिसमें ‘महाभारत’ की कथाओं को पेश किया जाता है और तीजन बाई को इस कला में महारत हासिल है । भिलाई के गाँव गनियारी में जन्मी इस कलाकार के पिता का नाम हुनुकलाल परधा और माता का नाम सुखवती था । नन्हीं तीजन अपने नाना ब्रजलाल को महाभारत की कहानियाँ गाते सुनाते देखतीं और धीरे धीरे उन्हें ये कहानियाँ याद होने लगीं । उनकी अद्भुत लगन और प्रतिभा को देखकर उमेद सिंह देशमुख ने उन्हें अनौपचारिक प्रशिक्षण भी दिया । 13 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपना पहला मंच प्रदर्शन किया ।