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चक्रधर गौशाला में गायों का मौत का सिलसिला फिर हुआ शुरू , मौत के मामले में प्रबंधन नही दे रहा कोई जवाब |


उपेंद्र डनसेना [Edeted By : शशिकांत साहू]

रायगढ़ जिला मुख्यालय स्थित सबसे बडी चक्रधर गौशाला में गायों की मौत का सिलसिला एक बार फिर से शुरू हो गया है । रोजाना दो गाय की मौत होनें के बाद प्रबंधन पूरे मामले को छुपाने के लिए नगर निगम की जेसीबी व ट्रेक्टर का सहारा लेकर मृत गायों को बडे रामपुर के इलाके में फेंकवा दिया जाता है । कल सुबह भी चक्रधर गौशाला के भीतर एक गाय की मौत होनें के बाद उसे नगर निगम के ट्रेक्टर में डालकर सर्किट हाउस के पीछे बिना दफनाए फेकवा दिया गया और प्रबंधन से जब इस मामले में पूछा गया तो उनका कहना था कि गाय की मौत बच्चा देने के दौरान हुई थी लेकिन इसमें लापरवाही कहीं नही की गई । 

 अधिकारिक सूत्र बताते हैं कि चक्रधर गौशाला में बीते चार दिन के भीतर चार गाय की मौत हो चुकी है और इससे पहले भी गायों की मौत होनें के बाद चुपचाप नगर निगम की जेसीबी मंगाकर बडी बेरहमी से मृत गायों को निगम के कचरे के ट्रेक्टर में डालकर दूसरी जगह फेंकवा दिया जाता है और ऐसा सिलसिला एक बार फिर से शुरू हो गया है । समाजसेवी व बयानवीर की खामोशी भी संदेह के दायरे में गाय को माता समझने वाले कुछ समाजसेवी तथा हमेशा अपने बयान के जरिए गायों को बचाने वाले गौ रक्षा के बयानवीर इस पूरे मामले से गायब हैं | चूंकि चक्रधर गौशाला का प्रबंधन सम्हालने वाले कुछ रसूखदार लोग राजनीति की पकड़ रखते हैं और इसीलिए आज तक इस चक्रधर गौशाला के प्रबंधन पर कोई कार्रवाई नही हो रही । बयानवीर भी गायों की मौत को लेकर सामने नही आ रहे हैं । 

  सबसे ज्यादा अनुदान मिलता है गौशाला को छत्तीसगढ़ की सबसे पुरानी गौशाला रायगढ़ के राजा चक्रधर के नाम से है और इस गौशाला को बीते कई सालों से शासन स्तर से मोटी रकम बतौर अनुदान के रूप में मिलती है, इतना ही नही जिले में चंदा भी इसी गौशाला को सबसे ज्यादा मिलता है । इतना ही नही करोड़ो रूपए का किराया भी गौशाला समिति को मिलता है | बावजूद इसके वहां की गाय लगातार इलाज के अभाव में दम तोड़ देती है और उनके दूध को बेच कर प्रबंधन अपना खजाना दोगुना करने में लगा है । छत्तीसगढ़ सरकार से मिलने वाले अनुदान की राशि का हिसाब किताब भी आज तक सार्वजनिक नही होता ।

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