कोरबा में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर , मजदूर एकता के मुद्दे पर राजनीति तेज | परिवारवाद की राजनीति को लेकर घिरे महंत |

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छत्तीसगढ़ की कोरबा संसदीय सीट पर अचानक कांग्रेस के समीरकण बिगड़ने लगे है | अभी तक माना जा रहा था कि इस सीट से ज्योत्श्ना महंत आसानी से विजय की ओर बढ़ रही है | लेकिन अब कांग्रेस के सितारे गर्दिश में नजर आ रहे है | लिहाजा इस संसदीय सीट पर मुकाबला कांटेदार हो गया है | दरअसल बीजेपी उम्मीदवार ज्योतिनंद दुबे के पक्ष में सैकड़ो औद्योगिक इकाइयों के मजदूर और उनके परिवारजन  उतर आए है | इसके चलते दिनो-दिन उनका पलड़ा भारी होते जा रहा है | दरअसल यह पहला मौका है जब इस संसदीय सीट पर बीजेपी ने मजदूर संगठन के प्रतिनिधि के रूप में ज्योतिनंद दुबे को चुनावी मैदान में उतारा है | इस इलाके में विद्द्युत परियोजनाओं से लेकर एल्युमीनियम से जुडी कई छोटी बड़ी इंडस्ट्री मौजूद है | लाखो की तादाद में यहाँ मजदूरों की तैनाती है | ऐसे में ट्रेड यूनियन से जुड़े नेता के चुनावी मैदान में कूद जाने से बीजेपी के पक्ष में  मजदूरों ने हवा बनानी शुरू कर दी है | हालांकि राज्य में पिछले पंद्रह सालो में बीजेपी की नाकामी , भ्रष्टाचार और जनविरोधी नीतियों के आरोपों की झड़ी लगाकर कांग्रेस ने अपने पक्ष में माहौल तैयार करने में कोई कसर बांकि नहीं छोड़ी है | इस बीच “मजदूर  एकता ”  का मुद्दा कांग्रेस पर दिनो-दिन भारी पड़ता नजर आ रहा है | दरअसल मजदूर मानने लगे है कि अब वो भी अपने ट्रेड यूनियन के जरिए लोकसभा में प्रवेश कर सकते है | इसलिए वो बीजेपी प्रत्याशी को आशा भरी निगाहो से देख रहे है |  

           कांग्रेस प्रत्याशी ज्योत्श्ना महंत पूर्व केंद्रीय मंत्री और विधान सभा अध्यक्ष चरणदास महंत की पत्नी है | चरणदास महंत कोरबा संसदीय सीट से कांग्रेस के परंपरागत प्रतिनिधि के रूप में लोकसभा में प्रतिनिधित्व करते रहे है | लेकिन पिछले आम चुनाव में उन्हें बीजेपी प्रत्याशी डॉ बंशीलाल महतो  से हार का सामना करना पड़ा था |  मोदी लहर में राज्य की अन्य लोकसभा सीटों की तर्ज में कोरबा संसदीय सीट से कांग्रेस का सफाया हो गया था | बावजूद इसके चरणदास महंत यहाँ पूरे पांच साल सक्रिय रहे | हालाकि 2018 के विधान सभा चुनाव में चरणदास महंत की किस्मत फिर रंग लाई | उन्होंने शक्ति विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी को बुरी तरह से पराजित किया |  इस सीट पर मिली विजय के बाद डॉ चरणदास महंत का नाम छत्तीसगढ़ के भावी मुख्यमंत्री के रुप में लिया जाने लगा था | लेकिन वो मुख्यमंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुँच पाए | अलबत्ता उन्हें  विधान सभा अध्यक्ष के पद पर ही विराजमान होना पड़ा |

 लोकसभा चुनाव में डॉ चरणदास महंत ने अपनी पत्नी ज्योत्श्ना महंत को टिकट दिलवा दी | ज्योत्श्ना महंत का कोई पेशेवर राजनैतिक वजूद और आधार नहीं रहा है | वो साधारण “हाउस वाइफ ” के रूप विख्यात रही है | लेकिन अचानक लोकसभा चुनाव में कूद जाने से उन्हें पहली बार राजनैतिक दांव-पेंचो से  दो चार होना पड़ रहा है | उनकी राजनैतिक सभाओ और सूझ -समझ व भाषणों से सहज स्पष्ट हो जाता है कि पेशेवर राजनीति में उनकी नई-नई एंट्री हुई है | वही दूसरी ओर ट्रेड यूनियन के नेता होने के नाते बीजेपी प्रत्याशी ज्योतिनंद दुबे धारा प्रवाह तरीके से भाषण दे रहे है | अपने भाषणों में वो कोरबा के विकास और समस्याओ के निराकरण को प्रमुखता से उठा रहे है |  इस संसदीय सीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मौजूदगी दर्ज कराने के बाद से बीजेपी की जान में जान आई है | अभी तक प्रचार के मामले में वो कांग्रेस से पिछड़ते नजर आ रही थी | लेकिन प्रधानमंत्री की आमसभा और मजदूर एकता के मुद्दे ने उसका पलड़ा भारी कर दिया है | 


कोरबा संसदीय सीट में परिवारवाद के मुद्दे से घिरे महंत 

कोरबा संसदीय सीट में परिवारवाद का मुद्दा चरणदास महंत पर भरी पड़ रहा है | छत्तीसगढ़ विधान सभा के अध्यक्ष बनने के बाद इलाके के कांग्रेसियों को उम्मीद थी कि इस संसदीय सीट से किसी नए चेहरे को मौका मिलेगा | कांग्रेसियों ने चरणदास महंत को भरपूर समर्थन देकर विधान सभा तक पहुंचाया था | इस उम्मीद में कि लोकसभा चुनाव में वो भाग्य आजमाएंगे | लेकिन उनके अरमानो पर उस समय पानी फिर गया ,जब ज्योत्श्ना महंत को टिकट मिल गई | हालांकि अभी भी कांग्रेसी कार्यकर्ता महंत के कंधे से कंधा मिलाकर बीजेपी को पटखनी देने में जुटे है | लेकिन उन्हें इस बात का मलाल है कि चरणदास महंत ने प्रत्याशी चयन के दौरान  उनकी सुध तक नहीं ली | जब बारी लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी के चयन की आई तो उन्होंने आम कांग्रेसी कार्यकर्ताओ की ओर देखा तक नहीं , फ़ौरन अपनी पत्नी ज्योत्श्ना महंत को लोकसभा चुनाव में उतार दिया | कांग्रेसी कर्यकर्ताओ की यह भी दलील है कि डॉ चरणदास महंत के नेतृत्व में अब उनका कोई भला नहीं होने वाला है | भविष्य में भी वो अपने ही परिवार को तव्वजो देंगे ना कि किसी योग्य कांग्रेसी कार्यकर्ताओ को |  

  कोरबा में पर्यावरण की सुरक्षा और प्रदुषण खत्म करने को लेकर मतदाता काफी जागरूक नजर आ रहे है | वो प्रत्याशियों से इस मुद्दे पर उनकी योजनाओ से रूबरू होना चाहते है | इसके आलावा रेल लाइन के विस्तार ,एयर फैसिलिटी ,पक्की सड़के ,मेडिकल कॉलेज समेत उच्च शिक्षा संस्थानों की स्थापना ,शुद्ध पेयजल ,रोजगार और बेहतर स्वास्थ सुविधाए उपलब्ध कराने के मुद्दे को ध्यान में रखकर वो मतदान करना चाहते है |   

     कोरबा संसदीय सीट के कुछ हिस्सों में जनता कांग्रेस का भी अच्छा ख़ासा प्रभाव है | लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी के चुनावी मैदान में नहीं उतरने से इस सीट पर सीधा मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच हो गया है | जोगी समर्थक मतदाता अभी फैसला नहीं कर पाए है कि उनका रुझान किस ओर होगा | बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने अपने स्टार प्रचारकों के जरिए मतदाताओं को रिझाने में कोई कसर बांकि नहीं छोड़ी है |  ऐसे में ऊंट किस करवट बैठेगा , यह तो वक्त ही बताएगा |