गेंदलाल शुक्ला /
कोरबा। एन.जी.टी.यानि राष्ट्रीय हरित अभिकरण ने 15 जून से 15 अक्टूबर तक नदी-नालों से रेत उत्खनन पर प्रतिबंध लगा रखा है। लेकिन छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में एन.जी.टी.का आदेश प्रभावहीन बना हुआ है। कोरबा शहर सहित गांवों में लगातार अवैध उत्खनन हो रहा है। यहां तक की शहर के मुख्य मार्गों में बड़ी मात्रा में रेत की आपूर्ति हो रही है। यहां तक कि नगर पालिक निगम कोरबा के निर्माण कार्यों में भी उपयोग किया जा रहा रेत संदेह से परे नहीं है।
एन.जी.टी.के आदेश के बाद खनिज विभाग ने कोरबा शहर सहित जिले के सभी रेत खदानों से रेत उत्खनन पर रोक लगा दी थी। लेकिन खनिज विभाग के आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए रेत की तस्करी प्रारंभ हो गयी। शहर में रातों-रात राजनीतिक संरक्षण में कुछ रेत माफिया पैदा हो गये और प्रति ट्रेक्टर एक हजार रूपये संरक्षण शुल्क लेकर रेत की चोरी और तस्करी कराने लगे । जून के प्रारंभ में आठ सौ रूपये की दर से मिलने वाला एक ट्रेक्टर रेत दो से ढाई हजार रूपये हो गया। कुछ रसूखदार ठेकेदारों ने खुद रेत उत्खनन शुरू कर दिया।

एन.जी.टी.का रेत उत्खनन पर प्रतिबंध एक सप्ताह बाद हट जायेगा। खनिज विभाग ने शहरी क्षेत्र की रेत खदानों का टेण्डर भी कर लिया है। एक सप्ताह बाद सभी अवैध रेत को वैद्य बना लिया जायेगा। वर्तमान में संजयनगर रेल्वे क्रासिंग से दर्री रोड तिराहा तक बांयी तट नहर में नगर निगम कोरबा का वाल निर्माण कार्य चल रहा है। इसके लिए करीब पन्द्रह ट्रेक्टर रेत मौके पर रखा गया है। प्रतिबंध के तीन माह बाद ठेकेदार को कहां से रेत प्राप्त हुआ है, यह जांच का विषय है। मजे की बात यह भी है कि सिंचाई विभाग का कार्य नगर निगम के मद से किया जा रहा है। कोरबा जोन अन्तर्गत हो रहे इस निर्माण कार्य जांच की आवश्यकता से इनकार नहीं किया जा सकता। खनिज विभाग शहर में कार्रवाई नहीं कर रहा है, तो ग्रामीण क्षेत्र में क्या कार्रवाई करेगा, समझा जा सकता है।
