जांजगीर-चाम्पा । अंतरजातीय विवाह करने वाले मालखरौदा क्षेत्र के पिहरीद गांव के दिलहरण कर्ष को सामाजिक बहिष्कार का दंश झेलना पड़ रहा है । समाज में शामिल करने के लिए उसे एक से डेढ़ लाख का दंड मांगा जा रहा है । दिलहरण कर्ष ने इसकी शिकायत एसपी से लेकर डीजीपी तक की शि है, जिसके बाद एसपी पारुल माथुर के निर्देश के बाद मालखरौदा पुलिस ने जांच शुरू कर दी है ।
पीड़ित के मुताबिक उसने अंतरजातीय विवाह किया था और बाहर चला गया था । इस बीच उसे पता चला कि उसके परिवार का सामाजिक बहिष्कार हो गया है । वहीं समाज प्रमुखों ने समाज में मिलाने 1 से डेढ़ लाख रुपये की मांग की, जिस पर दिलहरण कर्ष के परिवार वालों ने 57 हजार दिया । इसके बाद समाज प्रमुखों ने 40 हजार रुपये की और मांग की और समाज प्रमुखों ने दिलहरण से कहा कि 40 हजार रुपये और नहीं दोगे तो 57 हजार रुपये भी डूब जाएगा ।
गौरतलब है कि सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ ठोस कानून नहीं होने के कारण ऐसे मामलों में कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है । समाजशास्त्रियों का मानना है कि सामाजिक बहिष्कार व्यक्ति के मानवीय अधिकारों का खुला हनन है । इस पर प्रभावी नियंत्रण के लिए कानून नहीं होने के कारण ग्राम पंचायत या जातिगत सामाजिक पंचायतों द्वारा व्यक्ति या परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर प्रताड़ित किया जाता है । आर्थिक व शारीरिक दंड भी दिया जाता है ।
केंद्र व राज्य सरकार के पास सामाजिक बहिष्कार के कितने मामले हैं, इसके आंकड़े उपलब्ध नहीं है। एक सामाजिक संगठन ने आरटीआई के तहत राज्य शासन से सामाजिक बहिष्कार के प्रकरणों और इसकी रोकथाम के लिए उपलबध कानून के बारे में जानकारी मांगी थी । राज्य शासन की तरफ से जवाब निरंक आया । राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की ओर से भी सामाजिक बहिष्कार के मामलों के आंकड़े उपलब्ध नहीं होने की जानकारी दी गई है ।